यहां दूध का धुला है कौन!

हरीश मैखुरी

जो तीन साल में मोदी पर एक आरोप नहीं खोज पाये वे कभी अडानी तो कभी अंबानी के बहाने मोदी को घेरने की कोशिश करते हैं, परन्तु अगले ही दिन पोल खुल जाती है। अडानी और अम्बानी तो उद्योगपति हैं तब पैंसा कमा रहे हैं, परन्तु जो बार बाला आज विश्व की चौथी अमीर महिला है उसका रोजगार क्या है पता चले तो बताना। देश में जिस दामाद के पास आज सबसे ज्यादा कृषि योग्य जमीन है, उसका रोजगार पता चले तो बताना। फ्री जीओ देने वाला अंबानी ही है सब जानते हैं। आज भी दूसरी कम्पनियों के फ्री न देने दबाव के बावजूद अम्बानी 347 रू में 28 दिन अनलिमिटेड काल, 60 जीबी 4जी डाटा दे रहा है। इसने टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले वालों की बैंड बजा दी है, आज पहाड़ में मैदान में 4 जी ofc केबल बिछ रही है। हम भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं। देश बदल रहा है। हम मंहगाई से भी लड़ लेंगे। पर भ्रष्टाचारियों को सहन नहीं कर सकते हैं।

अब 2019 में अगला गठजोड़ भ्रष्टाचारियों बनाम शिष्टाचारियों का होगा। आम जनता शिष्ट और राष्ट्र भक्त है। वो बंगाल केरल और कश्मीर के हालात देख रही है। जिसमें शिष्टाचार है वही राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत है। वो तीन तल्लाक और हलाला से पीड़ित आधी आबादी का दर्द समझती है और जो वकील तीन तल्लाक और हलाला जैसे जघन्य अपराध के पक्ष में खड़ा था, उसके दलदल को भी पहचानती है।

मोदी के आने से आतंकवाद का मजहब पता लगने लगा है। देश में छिपे दुश्मन बिलबिलाने लगे हैं। जिन्होंने देश का ईस्लामीकरण और ईसाईकरण करने की राजनीति की उनकी दुकान फीकी पड़ने लगी है।  कर्ज के बोझ से परेशान किसान आत्म हत्या कर रहे हैं, लेकिन ड्रामेबाज सैक्यूलरिज्म से जुड़ी लाबी फोर्ड फाउंडेशन की खैरात से दिल्ली में केजरीवाल के पक्ष में दिल्ली एमसीडी के चुनाव जिताने के लिए तमिलनाडु से कार्टून बने मुस्टंडे किसानों की फौज लाते हैं यह किसान चूहे खाते हैं सड़क में दाल भात खाते हैं पिशाब भी पीते है ताकि मोदी बदनाम हो पर इनकी पोल तब खुल जाती है जब एमसीडी चुनाव के दूसरे दिन ही ज्यादातर किसान एयर कंडीशन ट्रेन या हवाई जहाज से वापस जाते हैं।

             बाबा रामदेव को भी मोदी से जोड़ने की कोशिश की जाती है। वे राष्ट्रीय कार्य कर रहे हैं। सेवा कर रहे हैं, योग से रोग भगा रहे हैं, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ भारत का अपना तंत्र विकसित कर रहे हैं। मिर्ची उन्हें लगती है जो आलोचना के अलावा कुछ भी नहीं करते। जो खुद इमानदार हैं उनके कठोर निर्णय का स्वागत है।