प्रदेश के सहकारिता विभाग में 17.5 करोड़ का घोटाला

उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ, सोयाबीन फैक्ट्री हल्दूचैड़ और सीडीएफ रानीखेत में साढ़े 17 करोड़ रुपये के घपला सामने आया है। इस मामले में अपर सचिव सहकारिता बीएम मिश्र ने एमडी राज्य सहकारी संघ को घपले के दोषियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। कई और अनियमितताओं का भी जांच से खुलासा हुआ है।

राज्य में भाजपा सरकार बनते ही सहकारिता राज्य मंत्री धन सिंह रावत ने यह जांच बिठायी थी। एक अप्रैल 2017 को उपनिबंधक सहकारी समिति अल्मोड़ा एमपी त्रिपाठी की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई गई। जांच कमेटी ने रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव बीएम मिश्र को उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ के गठन से लेकर अब तक हुई वित्तीय अनियमितताओं की रिपोर्ट सौंप दी है। बीएम मिश्र ने बताया कि रिपोर्ट से स्पष्ट है कि संघ की प्रबंध कमेटी दायित्वों के निर्वहन में लगातार चूक कर रही है। नियमानुसार कार्रवाई नहीं हो रही है। मामले में कार्रवाई के लिए एमडी राज्य सहकारी संघ को निर्देश दिए गए हैं।

उधर, राज्य सहकारी संघ के अध्यक्ष प्रमोद सिंह का कहना है कि कोई काम नियम विरुद्ध नहीं हुआ। कोऑपरेटिव एक्ट का पालन किया गया है। जिन समितियों को निष्क्रिय बताया जा रहा है, उन्हें हर साल लाभांश दिया जाता है। सरकार से मिली अंशपूजी को समय से पहले लौटाया गया। अपने संसाधनों पर भवन का निर्माण किया। बोरा प्रकरण भाजपा के समय का है। उस पर कार्रवाई के साथ वसूली भी हुई है।

जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा

वर्ष 2004-05 से 2016-17 तक कोऑपरेटिव ड्रग फैक्ट्री रानीखेत ने ऑडिट की आपत्तियों के बावजूद 17.08 करोड़ का कमीशन एजेंटों में बांट दिया। वर्ष 2008-09 से 2016-17 तक उत्तराखंड स्टेट कॉपरेटिव मेडिसन्स एवं फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड हल्दूचैड़ ने इसी तरह 47.92 लाख का कमीशन बांटा। 

मूल्य समर्थन योजना में वर्ष 2009 से 2012 तक मिलरों एवं समितियों को 1.06 लाख बारदाना/बोरों का अतिरिक्त भुगतान किया। इसका कोई विवरण व अभिलेख तक ऑफिस में नहीं हैं। इससे संघ को सीधे आर्थिक नुकसान हुआ। इसके बाद भी संघ प्रबंधन ने किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।

सरकार से मिली अंशपूजी में गड़बड़ी कर संघ को 60 लाख का नुकसान पहुंचाया गया। राज्य सहकारी संघ के भवन का निर्माण शासन के अनुमोदन व वित्त विभाग से टीएसी कर दिया गया। संघ प्रबंधन ने ऐसी सहकारी समितियों को सदस्यता दी, जो कि निष्क्रिय हैं। संघ के नियमों के विपरीत सदस्य बनाए। इन्हें समाप्त किया जाए। संघ बाजार से सामान खरीदकर विभागों को तीन प्रतिशत कमीशन जोड़कर आपूर्ति कर रहा है। इससे विभागों को नुकसान पहुंच रहा है। संघ को उर्वरक आयात चक्रीय नीति संचालन मार्ग निर्देश-2008 के तहत प्राप्त 3.91 करोड़ का बजट शासनादेश अनुसार सरकार को वापस करना है। ऐसा न कर सरकार को आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा रहा है।