शब्जी के ट्रक से 18 गिरफ्तार, क्वारेंटाईन सेंटर भेजा

पौड़ी – कोरोना मेडिकल आपदा और लाकडाउन की वजह से पुलिस प्रशासन इन दिनों बहुत चौकन्ना है, कोरोना महामारी की संवेदनशीलता को देखते हुए सजग पुलिस ने सतपुली नगर में पुलिस चेक पोस्ट पर चेकिंग के दौरान प्रातः 7 बजे रुद्रप्रयाग से आ रहे सब्जी के ट्रक संख्या यूपी 20 T1168 में सब्जी की कैरिटों के पीछे छिपे 18 लोगों को पकड़ा। इन लोगों में कोरोना संदिग्ध होने के कयास लगाये जा रहे हैं, जिसके चलते इन्हें कोटद्वार में बने क्वारेंटाइन सेन्टर में भेज दिया है। जहाँ इनका नियमित रूप से स्वास्थ्य परीक्षण किया जायेगा। इस घटना के बाद सतपुली नगर में हड़कम्प मच गया है और लोग सहम गए है।

थानाध्यक्ष त्रिभुवन रौतेला के अनुसार लोकडाउन के नियमों का उलंघन करने पर ट्रक को सीज कर सभी अभियुक्तों के खिलाफ धारा 188 के अन्तर्गत मुकदमा दर्ज कर कोटद्वार क्वारेंटाइन सेन्टर भेज दिया है। सभी लोग मूल रूप से सहारनपुर, बिजनोर, देहरादून और नाजीमाबाद के है। जो रुद्रप्रयाग जनपद में सब्जी व अन्य दुकानों पर कार्य करते हैं । मौके पर एसआई कैलाश चन्द्र सेमवाल, कांस्टेबल मनोज, सूरवीर आदि रहे। एसएसपी पौड़ी दलीप सिंह कुँवर के अनुसार अब तक दो दिनों के भीतर विभिन्न बैरियरों में लॉकडाउन का उलंघन करते 56 लोग पकडे गये है जिनके खिलाफ मुकदमे दर्ज कर आवश्यक कार्यवाही की जा रही है। और पुलिस सभी स्थानों पर शख्ती के साथ अपना कार्य कर रही है।

चमोली पुलिस द्वारा भी परखाल तिराहा बैरियर पर ट्रक (आईसर) वाहन सँख्या Uk04CA-1608 की तलाशी ली गयी तो ट्रक में 12 मजदूर, तहसील नारायणबगड़ के आसपास गाँवों में दिहाड़ी मजदूरी करते हैं, ट्रक चालाक द्वारा राशन व सब्जी के माल खाली करके वापस रामनगर जा रहा था(साभार) 

      इससे पहले देश के विभिन्न शहरों में कोरोना संक्रमण के दुष्प्रभाव से बचने के लिए भारी संख्या में उत्तराखंड मूल के लोगों ने भी अपने गांवों का रुख किया है। कुछ जैसे तैसे पैदल ही गांवों पंहुच गये कुछ रास्तों में ही अटके हैं। अंदाज़ा लगाया देश के इन शहरों में हमारे युवाओं की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह वहां 21 दिन के लॉक डाउन में भी सरवाइव कर पाते संभवतया इसी लिए इन युवाओं ने अपने गांव का रुख किया। ऐसे युवाओं के लिए उत्तराखंड के अपने बंजर पड़े गांवों में सब्जी उगाने का अच्छा खासा विकल्प है। नेपाल के लोग आकर उत्तराखंड के विभिन्न गांवों में सब्जी उगा रहे हैं तो हमारे यहां के युवा जो शहरों में आठ दस हजार की नौकरी के लिए ठोकरें खाते हैं वे अपने गांव में क्यों नहीं कुछ करते। संभवतया जिस दौर में युवा के  पहाड़ छोड़कर मैदानों की ओर गए उस दौर में पहाड़ में सब्जी की खपत कम थी लोग अधिकांश सब्जियां गांव में ही उगाते थे लेकिन आज उत्तराखंड के सभी गांव और कस्बे शहर नजीबाबाद की सब्जी पर निर्भर हो गए हैं। इसलिए गांव की सब्जी का स्कोर भी बढ़ गया है और लोग गांव की ताजा सब्जी को नजीबाबाद की सब्जी से ज्यादा महंगा खरीदने के लिए भी तैयार रहते हैं। ऐसे में यह पहाड़ों के बेरोजगार युवाओं के लिए न केवल रिवर्स पलायन का सबब बन सकता है बल्कि अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने और गांवों के पुनर्वास का नयां दौर भी चल सकता है