200 साल बाद अंग्रेजी शासन का वीआईपी कल्चर खत्म करने की पहल

 

 

हरीश मैखुरी
पूरा देश लाल बत्तियों से परेशान था, मोदी ने अपने सिपेहसलार की परवाह किए बिना जनता की नब्ज पहचानकर लाल बत्ती हटवाकर वीआईपी कल्चर खत्म करने की जो शुरुआत की है वो रुकनी नहीं चाहिए। नेताओं का मानदेय भी देश के सिपाही के बराबर ही कर दिया जाना चाहिए वीवीआईपी कल्चर को लेकर केंद्र की मोदी कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया है। 1 मई से केंद्रीय मंत्री और अधिकारी लाल बत्ती नहीं लगा सकेंगे। 1 मई को मजदूर दिवस है, कैबिनेट के निर्णय के बाद केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने अपनी कार से तुरंत ही लाल बत्ती हटा ली है।

केंद्रीय वित्त और रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि लाल बत्ती देने के नियम को खत्म किया गया है, अब देश में कोई लालबत्ती का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। उन्होंने कहा कि कुछ आपात सेवाओं के लिए नीली बत्ती का इस्तेमाल होगा। सिर्फ पुलिस, एंबुलेस और फायर ब्रिगेड को नियम से छूट दी गयी है। आजादी के 70 सालों बाद ही सही अंग्रेजी गुलामियत की एक निशानी तो खत्म हुई अब जरुरत है देश का राजकाज देवनागरी हिन्दी में शुरु किए जाने की और इसी के साथ एक झटके में आरक्षण खत्म किए जाने और कसाईखाने बंद किए जाने की शुरुआत की जानी चाहिए। मोदी को जनता ने ऐसे ही बड़े फैसलों के लिए चुना है ये काम अगर मोदी नहीं कर पाए तो दूसरा माई का लाल शायद इस धरती पर पैदा हो।