ईरान में मिली भगवान राम की 26 हजार वर्ष पुरानी मूर्ति

 नई दिल्ली। जैसा हमारे पुराणों में वर्णित है  की अखंड भारत वर्ष अपने पौराणिक काल में बर्मा  चीन  तिब्बत मलेशिया कंबोडिया ईरान और अरेबिक देशों तक फैला हुआ था तब धरती के इसी हिस्से पर केवल मनुष्य जाति रहा करती थी जिसे हिंदुस्तान कहा जाता है, सब राम राज्य के अंतर्गत थे। आज से 2600000 साल पहले जब लंकापति रावण युद्ध में मारा गया तो अंत में शूर्पणखा राम के पास आई  और उन्होंने भगवान राम से कहा कि मेरा भी उद्धार कर दो  तब भगवान राम ने कहा कि वे  स्त्रियों पर हाथ नहीं उठाते  इसलिए आप जाकर  मरू प्रदेश में निर्वासित जीवन जियो और वहाँ  विद्यमान मक्केश्वर शिवलिंग की पूजा करो जिसे आज मक्का कहा जाता है इस पर अब मुस्लिम समुदाय का कब्जा है। ये तो सभी को पता है कि, भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और तमाम तरह की रामकथाओं से हमें ये पता चलता है कि, भगवान राम और उनके भक्त हनुमान की वास्तविकता में कोई सवाल खड़े नहीं हो सकते हैं। इसी बीच भारत से हजारों किलोमीटर दूर ईराक में भगवान राम और हनुमान की प्रतिमाएं पाई गई है। ये प्रतिमाएं खुदाई के दौरान पाई गई और ईराक के पुरात्तव विभाग का कहना है कि, ये प्रतिमाएं करीब 26 हजार साल पुरानी बतााई जातीी हैं। इन प्रतिमाओं के पाए जाने की पुष्टी खुद ईराक सरकार ने की है। प्रतिमाएं मिलने के बाद से भारतीय सरकार ने भी इस बारे में अपनी उत्सुकता जाहिर की है और इस बारे में ज्यादा जानकारी प्राप्त करने की इच्छा जताई है। ईराक के साथ भारत के रिश्ते अच्छे हैं और मित्र देश ने इन प्रतिमाओं की महत्व को समझते हुए भारतीय शोधकर्ताओं को अपने देश में आमंत्रित किया है। अब जानकारी मिल रही है कि, जल्द ही भारतीय शोधकर्ता ईराक जाएंगे और भगवान राम के तथ्यों के बारे में तलाश करेंगे।  समझा जाता है कि यदि भारत सरकार ने इन मूर्तियों में रुचि दिखाई और ठीक से अनुसंधान किया गया तो पुराणों में वर्णित उक्त सारा इतिहास विश्व समुदाय के सम्मुख पुन्हा उजागर हो सकता है (फोटो व सूचना साभार हि.न्यू)