50 वर्षीय महिला को तेंदुए ने बनाया शिकार

दीपक मेहता

सीमापनी, चौखुटिया में 50 वर्षीय महिला हीरा देवी को तेंदुए ने अपना शिकार बना दिया। हीरा देवी के पति जीआईसी पटल गांव में कार्यरत हैं  और गम्भीर रूप से बीमार हैं। कल हीरा देवी घास काटने जंगल गई थी। रात को जब वह वापस नहीं लौटी तो खोजबीन शुरू हुई। गांव में लोग बहुत कम रह गए हैं तथा जो लोग हैं भी तो उनके घर दूर-दूर हैं। इस कारण रात को उनका कुछ पता नहीं चला। आज सुबह जंगल में हीरा देवी का शव मिला। मौके हेतु वन विभाग और राजस्व पुलिस सूचित किया गया है। 

(समूची दुनियां में इतने कम क्षेत्रफल में इतने ज्यादा नेशनल पार्क और नेशनल सेंचुरी कहीं भी नहीं है, जहां आग बाघ और वीराने के बीच में ही मनुष्य इतनी ज्यादा जद्दोजहद से संघर्ष करता है उत्तराखंड ऐसा राज्य है जहां आदमी की जान जंगली जानवरों से भी सस्ती है ऊपर से तुर्रा यह कि यहां यदि किसी व्यक्ति को पहाड़ व पेड़ से गिरने पर चोटिल होने या महिलाओं का प्रसव का सवाल है तो कहीं भी गांवों के निकट न तो ट्रामा सेंटर है और ना अस्पताल की समुचित व्यवस्था है ऐसे में उत्तराखंड के निवासी भगवान के ही भरोसे हैं हीरा देवी जैसे जीवट लोग जो अब भी गांव में बसे हैं उनके ऊपर 24 सों घंटे जंगली जानवरों के आक्रमण का खतरा बना रहता है, हीरा देवी इसी आक्रमण की शिकार हुई। निश्चित रूप से सरकारों को इस बारे में चिंतन करना चाहिए कि मनुष्य की जान पहले है या बाघ और भालू के लिए सेंचुरी बनाना हमारी प्राथमिकता है? जब तक तेंदुए को आदमखोर घोषित करने की प्रक्रिया से गुजरते हैं तब तक वह बहुत सारे लोगों को अपना शिकार बना चुका होता है, यह भी विचारणीय विषय है। गैरसैंण के लखपत सिंह रावत को छोड़कर उत्तराखंड सरकार के पास कोई दूसरा शिकारी भी नहीं है जिसे आदमखोर बाघ को चिन्हित करने और मारने की महारत हासिल हो। लखपत सिंह रावत को भी सरकार द्वारा इस हेतु कोई अलग सुविधा नहीं दी जाती है। ऐसे में उत्तराखंड के निवासी खासकर जो पहाड़ों की कंदराओं में आज भी जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं वह भगवान के ही भरोसे हैं। – – हरीश मैखुरी, ब्रेकिंग उत्तराखंड न्यूज़)