पतंजलि के अनुसार कोरोना की औषधि ‘कोरोनिल’ सम्बन्धित सभी पत्रजात और प्रक्रिया पूरी

कोरोना की आयुर्वेदिक औषधि मूल्य 545 रु, 7 दिन में 100% पॉजिटिव ठीक होंगे, उपचार के लिए कोरोनिल टैबलेट, श्वासारी वटी व अणु तेल पतंजलि के द्वारा लॉन्च होने के थोड़ी देर बाद ही उनके विरोधी इसके कानूनी दांव पेंच पर ज्ञान देने लगे। लेकिन आज आयूूूष मंत्रालय से न केवल कोरोनिल को हरी झंडी मिल गयी बल्कि स्वयं आयुष मंत्री भारत सरकार श्रीपद नायक ने पतंजलि कोरोना दवा बनने पर खुशी भी जताई । समझा जा रहा है कि इससे विरोधियों को खासा झटका लगा है। 

बता दें कि पतंजलि के द्वारा कोरोनिल लॉन्च होने के थोड़ी देर बाद ही उनके विरोधी इसके कानूनी दांव पेंच पर ज्ञान देने लगे। पतंजलि ने तुरंत बाद ही उन सभी पत्रजातों की प्रतियां भी मीडिया के सामने प्रस्तुत कर अपना पक्ष स्पष्ट भी कर दिया। तंजलि ने कोरोनिल सम्बन्धित सभी पत्रजात और प्रक्रिया पूरी मीडिया के सामने रखते हुए कहा था कि

“यह सरकार आयुर्वेद को प्रोत्साहन व गौरव देने वाली है, जो communication gap था, वह दूर हो गया है और Randomised Placebo Controlled Clinical Trials के जितने भी Standard Parameters हैं, उन सब को 100% fullfill किया है। इसकी सारी जानकारी हमने आयुष मंत्रालय को दे दी है।”

बता दें कि कोरोना एक बहुत तेज़ी से फैलने वाली छुआछूत की जानलेवा महामारी है। इसलिए इसके नाम पर निजी अस्पताल  मनमाने तरीके से पीड़ितों को लूट रहे हैं।

लेकिन जब कल से बाबा ने ऐलान किया है कि कोरोना दवाई की किट की कीमत 545 रुपये है और जिसके पास पैसे नहीं उसको बिल्कुल मुफ्त दी जाएगी.. इन सबके इरादों पर पानी फिर गया। अब खबर है कि भारत सरकार ने कथित तौर पर पतंजलि से कोरोना वायरस की दवा का विज्ञापन बंद करने को कहा है। दरअसल, योग गुरु स्वामी रामदेव ने कोरोनावायरस की दवा ‘कोरोनिल’ को मंगलवार को बाजार में उतारी और दावा किया कि आयुर्वेद पद्धति से जड़ी बूटियों के गहन अध्ययन और शोध के बाद बनी यह दवा शत प्रतिशत मरीजों को फायदा पहुंचा रही है। लेकिन आयुष मंत्रालय ने पतंजलि को आदेश दिया है कि कोविड दवा का तब तक प्रचार नहीं करें जब तक कि  इसकी जांच नहीं हो जाती है। मंत्रालय ने पतंजलि से दवा की विवरणी मांगी, ताकि पतंजलि के दावे की जांच की जा सके। आयुष मंत्रालय ने कहा था पतंजलि की दवा, औषधि एवं चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) कानून, 1954 के तहत विनियमित है।

इधर जानकारों के अनुसार आयुष मंत्रालय भारत सरकार की गाईडलाइन के अन्तर्गत किसी भी निजी योग अनुभूति औषध के निर्माण के लिए औषधि परीक्षण प्रमाण की वैसे भी आवश्यकता नहीं है I और न CMR को आयुर्वेद औषधि निर्माण में कुछ भी कहने व हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।

वास्तव में सवाल उठता है कि ऐलोपैथी के नाम पर पाँच सितारा अस्पताल 15 दिन का 10 लाख रुपए वसूल रहे हैं, बिल गेट्स अपनी कोरोना दवा 35000₹ में बेच सकता है सन फार्रमा अपनी दवा 5000₹ में ग्लैनमार्रक फारमा 3500₹ में बेच सकता है लेकिन पतंजलि की 550₹ की दवा मंहगी लग रही है क्योंकि वो आयुर्वेदिक है इसलिए?

पतंजलि द्वारा कोरोनिल लांच के बाद से ही बाबा रामदेव तो ऐलोपैथिक लाबी और इससे जुड़े अनेक लोगों की नजरों में खटकने लगे हैं। कतिपय लोगों द्वारा आचार्य बालकृष्ण और आयुर्वेद का मजाक उड़ाती पोस्टें वायरल भी हैं।
हमारा सवाल है कि क्या पतंजलि किसी को दवा लेने के लिए मजबूर कर रहा?  200 देशों में योग पहुंचाकर रामदेव व पतंजलि ने हाफिज सईद व दाऊद इब्राहिम जैसा वैश्विक अपराध किया है ?
क्या मदर टेरेसा जिसे जीते जी ही चमत्कारी संत घोषित किया, वे छूकर दूसरों की बीमारी ठीक करने का दावा करती थीं और खुद हॉस्पिटल में तड़प तड़प कर मरीं, कभी उस पर सवाल क्यों नहीं उठा?
क्या हॉस्पिटल खोलना, अनाथालय खोलना, विद्यालय खोलना, धर्मशाला बनाना, शहीदों को सम्मानित करना, लंगर चलना, किसान के खेत से जड़ी बूटियां खरीदकर मिलावट रहित चीजें बनाना भी अपराध है ?
जो लोग सालों तक आप अपनी जेब कटवा कर फेयर एंड लवली रगड़ते रहे, क्या वे गोरे हुए?
क्या पतंजलि का पाप यह है कि इसने कोलगेट जो नीम, तुलसी, वेद, रामायण, महाभारत को नहीं मानती थी, हम हड्डियों का चूर्ण रगड़ते थे, 80 साल पुरानी उसी कोलगेट को इसी हवाई चप्पल में रहकर ,फटी बनियान पहनने वाले आचार्य ने वेदशक्ति बनाने को मजबूर कर दिया ?
पर उससे किसी को दिक्कत नहीं क्योंकि हिंदुस्तान यूनिलीवर, कोलगेट, नेस्ले विदेशी कंपनियां है इसलिए ? क्या ये विदेशी कंपनियां चैरिटी का पैंसा प्रधानमंत्री आपदा राहत कोष में देती हैं कभी ?
क्या कभी सवाल उठा कि जब महर्षि सुश्रुत 100 प्रकार की सर्जरी कर सकते थे, तो आज भारत में आयुर्वेद के ऊपर अनुसंधान क्यों नहीं होने चाहिए ?
क्या आपने किसी डॉक्टर को आंखों के डॉक्टर को चश्मा लगाते हुए इलाज करते देखकर उसके ऊपर सवाल उठाया?
क्या हमने देश के अंदर लाखों विदेशी कंपनियां जो लूट रही है उस पर सवाल उठाया ?
जॉनसन एंड जॉनसन के ऊपर अमेरिका में पाउडर से कैंसर होने 32000 करोड का जुर्माना किया गया,  कभी सवाल उठा कि भारत में उसको बैन किया जाए?
याद रखिये हम यह विरोध करके पतंजलि का नहीं भारत का नुकसान कर रहे हैं।

कोरोना वायरस जैसा सिंगल आर एन ए सट्रेन वायरस का जो हर पल म्यूटेट हो जाता है, उसकी दवा मुस्किल है, लेकिन बाबा रामदेव द्वारा बनाई गई आयुर्वेदिक दवाई कोरोना ग्रसित लोगों की इम्युनिटी को एकदम से बूस्ट कर देती है जिससे कि हमारा शरीर पूर्ण रूप से इस वायरस के प्रति लड़ सके, इसी लिए ये कारगर साबित होता है तथा हमारा खुद का ही शरीर इस वायरस को डिसइंटीग्रेट करके शरीर से बाहर कर देता है परंतु इसको साबित करना थोड़ा मुश्किल है इसलिए अलोपथी की लॉबी कोरोनिल को गलत साबित करने पर जुटी रहेगी ।

ICMR और आयुष विभाग कोरोना मामले में यदि WHO के  भरोसे आस लगाये बैठें तो क्या हम सभी हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहेंगे? क्या देश की सरकार भी नहीं चाहती है कि कोरोना की दवाई अमेरिका के अलावा कोई और बनाए? यदि भारत की सरकार को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति पर भरोसा नहीं रहेगा तो आयुष मंत्रालय की आवश्यकता क्या रह जायेगी?😊 (संकलित एवं संपादित )