आचार्य बालकृष्ण स्वस्थ हो कर लौटे पतंजलि

अचार्य बालकृष्ण को मिठाई के पेड़े में किसी ने साजिश के तहत नशीला पदार्थ दिया, जिस कारण वे 5 घंटे बेहोश रहे। लिबरल, बामपंथी और टुकड़े गैंग और अरबिया कबीलों के पिछलग्गू उनकी बीमारी को हार्टअटैक बनाकर वायरल करते देखे पाये गये। आर्युवेदिक पद्धति जो सदियों से हमारी उपचार परंपरा रही है, गाय और गोबर मूत्र में किंतु-परंतु करने और बाबा के मिशन को नाहक नुुुकसान पंहुचाने का उन्हें मौका मिल गया। इस पर बाबा रामदेव को भी आचार्य बालकृष्ण के सम्बन्ध में मीडिया में बताना पड़ा। 
बड़े-बड़े कैंसर के डॉक्टर खुद कैंसर की बीमारी से मारे गए, बड़े-बड़े हार्ट अटैक के डॉक्टर खुद हार्ट अटैक होने से मौत के मुंह में चले गए, जहां तक पूरे विश्व में डॉक्टरों की औसत उम्र 65 वर्ष है ऐसे डाक्टर अपनी उम्र क्यों नहीं बढ़ा लेते?
पहले भी बालकृष्ण के हार्टअटैक बाबा रामदेव के इंग्लैंड में घुटनों के आप्रेशन की झूठी खबरें मीडिया में फैलाने का मकसद एक ही है हिंदू वैदिक आर्युवेदिक पद्धति और को बदनाम करना। सबसे बड़ी दुख की बात है हिंदू समाज में अपनी संस्कृति आयुर्वेदिक पद्धति योग के दुश्मन सबसे ज्यादा हैं । दूसरे फिरकों की तो बात ही क्या करें।
सनातन धर्म की पहचान में उसकी समूची संस्कृति भी शामिल है और उसके धार्मिक रीतिरिवाज़ और स्मारक भी। इसलिए हमें समूची सनातन संस्कृति वैदिक आर्युवेदिक पद्धति की रक्षा के लिए प्राथमिकता के तौर पर मुख़र होना होगा।
आचार्य बालकिशन और रामदेव ने हमारी वैदिक पद्धति व जड़ी बूटियों का योग एवं उपयोग का ज्ञान दुनियां को बताया। आज दुनियां में योग का आर्युवेदिक पद्धति डंका बज रहा है, यही बात लिबरल बामपंथी गैंग टुकड़े टुकड़े गैंग पचा नहीं पा रहा और हार्ट अटैक की मनगढ़ंत कहानी बना कर प्रोपेगेंडा फैला रहा है। अफसोस जनक बात है कि जो वामपंथी मल्टीनेशनल कंपनियों के मुद्दे पर कांग्रेस से दो-दो हाथ करते थे आज जब पतंजलि ने स्वदेशी का विकल्प देना शुरू किया, तो इनके पेट में मरोड़ उठ गयी।
बारहाल आचार्य बालकृष्ण अब स्वस्थ हैं अस्पताल से उनकी छुट्टी कर दी गई है। उनकी जांच रिपोर्ट नार्मल हैं उनकी चिकित्सा कर रहे एम्स के डाक्टरों के अनुसार उन्हें हृदय सम्बंधी कोई तकलीफ नहीं है जबकि उनके खाद्य एन्जाईम्स के नमूने फरेंसिक जांच के लिए भेजे गए हैं। बाबा रामदेव ने कहा कि इस प्रकरण की जांच करायेंगे ताकि दोषियों को सजा मिल सके। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उनका हालचाल जाना और उनके दीर्घायु की कामना की। आचार्य गण युगों के लिए सोचते हैं। और हम ईर्ष्या भाव से, यही अन्तर है मनीषि और मनुष्यों में।