उत्तर प्रदेश में दाखिल होते ही विधायक गिरफ्तार?

उत्तर प्रदेश की ओर से कहा गया कि विधायक अमनमणि त्रिपाठी को उत्तराखंड जाने की कोई इजाजत नहीं दी गयी, अपनी गलती के लिए वे खुद जिम्मेदार हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सन्यासी हैं और उनके त्याग को पूरी दुनियां जानती है। इसलिए किसी भी स्तर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम जोड़ा जाना औचित्य हीन है। परन्तु उत्तराखंड के एक अधिकारी की ओर से अमनमणि के संदर्भ में बद्रीनाथ केदारनाथ जाने हेतु जारी एक पत्र भी सुर्खियों में है कि ये माजरा क्या है? दिन भर चर्चा रही कि कहीं ‘कथित पत्र’ भी उस विधायक की ही जालसाजी से तो नहीं? इस बीच देर शाम खबर आयी कि विधायक के उत्तर प्रदेश सीमा में प्रवेश करने पर बिजनौर पुलिस द्वारा निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी को नजीबाबाद बिजनौर से 7 अन्यों सहित गिरफ्तार किया गया। बता दें अपने रसूख और दले धोंस के बल पर उतर प्रदेश का यह दबंग विधायक अमनमणि पुत्र अमरमणि त्रिपाठी संपूर्ण लाॅकडाउन के बावज़ूद लखनऊ से चल कर बद्रीनाथ जाने के बहाने ११ लोगों के साथ अपनी ३ लग्ज़री गाड़ियों से कर्णप्रयाग तक पहुंचाने में सफल रहा। जबकि बद्रीनाथ धाम के कपाट १५ मई को खुलने हैं और शास्त्रों के अनुसार कपाट खुलने से पहले बद्रीनाथ जाना ब्रह्म हत्या के समान पाप है। तब सवाल उठता है कि ये विधायक और उनकी टीम 11 दिन पहले ही बद्रीनाथ क्या करने जाना चाह रही थी? कहीं कुछ और आपराधिक मामला तो नहीं? यह गंभीर जांच का विषय होना चाहिए था, जिसे हल्के में लिया गया। क्योंकि उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव के जिस पत्र को दिखा कर ये विधायक पांच जिलों की पुलिस को चकमा देता रहा उसमें उ०प्र० के मा०मुख्यमंत्री के पितृ कार्य हेतु बद्रीनाथ और उसके बाद केदारनाथ जाने का हवाला है। इस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूर्वाश्रम के सगे भाई महेन्द्र सिंह बिष्ट ने सवाल उठाया कि हमारे रहते कोई दूसरा व्यक्ति हमारे पिता का पितृकार्य कैसे कर सकता है? अमनमणि होते कौन हैं उनके पिता का श्राद्धकर्म करने वाले? वैसे भी उत्तराखंड में तर्पण और पिंडदान श्राद्धपक्षों असूज कार्तिक में होता है इसलिए भी उनके पिता आनन्द सिंह बिष्ट के बहाने किसी का भी इस तरह बद्रीनाथ केदारनाथ यात्रा का औचित्य नहीं बनता है।जब चारधाम यात्रा बंद रखी गयी है, प्रदेश की सीमाएं सील हैं, अपने प्रदेश के लोगों को ही प्रदेश में लौटकर आने की इजाज़त अब तक नहीं थी तो विधायक को पास जारी किया जाना पूरे तंत्र को कठघरे में खड़ा करता है हालांकि गौचर पुलिस चौकी की सक्रियता और उप जिला अधिकारी कर्णप्रयाग वैभव गुप्ता के हस्तक्षेप के चलते विधायक अमनमणि त्रिपाठी और उनकी चांडाल चौकड़ी को बैरंग वापस लौटना पड़ा। बताया जाता है कि वापसी में भी वे गाड़ियों को दौड़ाते पुलिस से भिड़ते हुए हरिद्वार लक्सर भी पार करने में सक्षम रहे। उत्तराखंड की ओर से इस घटनाक्रम पर मदन कौशिक, प्रवक्ता, प्रदेश सरकार के बयान में कहा गया कि मामले में हुई चूक को तुरंत प्रशासन द्वारा ही सुधार लिया गया। सरकार का तंत्र अगर अलर्ट न होता तो कर्णप्रयाग से किसने विधायक और उनके साथियों को वापस लौटाया?