मंत्री बनते ही चढ़ गया सत्ता का रंग

उत्तराखंड के मंत्री डबल इंजन की धीमी गति हैं या इतने मक्कार? गत 18 मार्च को उत्तराखंड में सत्ता संभालने के बाद ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सुशासन, पारदर्शिता के साथ ही भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलने का दावा किया और इसी प्रावधान के अनुसार दो महीने में सभी मंत्रियों को गोपन विभाग को अपनी संपत्ति का ब्योरा देने हेतु निर्देशित किया। मगर उत्तराखंड सरकार के किसी भी मंत्री ने अब तक आचरण सेवा नियमावली के प्रावधानों के मुताबिक अपनी और अपने परिवार की संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे गंभीरता से लेते हुए अब तय समय सीमा में मंत्रियों को इस दिशा में पहल करने के निर्देश दिए हैं। गोपन विभाग ने 23 मार्च को मंत्रियों के लिए आचरण सेवा नियमावली जारी कर सभी मंत्रियों के कार्यालयों में इसकी प्रति भेज दी। नियमावली में प्रावधान है कि मंत्रियों को दो महीने के भीतर अपनी और अपने परिवार की संपत्ति का पूर्ण ब्योरा देना होगा। साथ ही, हर साल 31 अगस्त तक संपत्ति का ब्योरा देने की बाध्यता है।

इसके अलावा किसी भी सरकारी पट्टे, लाइसेंस व लाभ के पद का लाभ भी मंत्री नहीं ले सकते। नियमावली में इसका भी जिक्र है कि मंत्री कीमती उपहार स्वीकार नहीं करेंगे और सरकारी दौरों के दौरान सरकारी अतिथि गृहों में ही ठहरेंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के संज्ञान में यह बात आने पर उन्होंने इसे गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा कि जल्द सभी मंत्री अपनी संपत्ति का ब्योरा दे देंगे, पंरतु लगता है कि ईमानदारी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अलग-थलग पड़ जाएंगे और मंत्री अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आएंगे।