एशिया के सबसे बड़े मोटरेबल टिहरी झूला पुल की टैस्टिंग जोरों पर, प्रधानमंत्री मोदी कर सकते हैं लोकार्पण

इन दिनों डोबरा चांठी पुल पर टेस्टिंग चल रही  है और साढ़े 15-15 टन वजन के 14 ट्रक दौड़ रहे हैं यह अंतिम चरण कार्य है जो बहुत महत्वपूर्ण है इस में लापरवाही नहींकीकी जा सकती है क्यों कि जल्दबाजी किसी बड़ी दुर्घटना न्योता देससकती है पुल से संबंधित अधिकारियों का कहना है कि इस महीने के अंदर पुल का कार्य पूर्ण हो जाएगा और फिर कोई शुभ तिथि देखकर इसका उद्घाटन भी करवा लिया जाएगा जिससे कि जनता का आवागमन शुरू हो। 

१४ वर्षों के बहुत लंबे इंतजार के बाद टिहरी को प्रतापनगर, लंबगांव एवं डेढ सौ अन्य गांवों को सीधे जोड़ने वाला भारत का सबसे लम्बा मोटरेबल सिंगल लेन डोबरा-चांठी झूला पुल बनकर है तैयार ।

टिहरी: सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों प्रताप नगर-लंबगांव क्षेत्र के लोगों को ये सौगात देने की तैयारी त्रिवेंद्र सरकार ने कर रखी है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने डोबरा-चांठी पुल के बनकर तैयार होने पर खुशी जाहिर की है। 

उन्होंने कहा, ”प्रतापनगर, लंबगांव और धौंतरी के लोगों की पीड़ा को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है. उन लोगों को काफी तकलीफ उठानी पड़ी. लेकिन सरकार ने 440 मीट लंबे इस पुल के निर्माण में आ रही धन की कमी को दूर करते हुए एक साथ ₹88 करोड़ रुपए स्वीकृत किए. यह पुल बनकर तैयार है और अब इसे जल्द ही जनता प्रोजेक्ट पर उठाए सवाल, कहा- सारपुल का आकर्षण लाजवाब है
डोबरा-चांठी देश का सबसे बड़ा झूला पुल है जो अपने आप में आकर्षण का एक बड़ा केंद्र है. इस पुल से टिहरी झील की मनोरम छटा देखते ही बनती है. प्रतापनगर, लंबगांव और धौंतरी में रहने वाली करीब 3 लाख से ज्यादा की आबादी को टिहरी जिला मुख्यालय तक आने के लिए पहले 100 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी. इस पुल के शुरू होने के बाद अब यह दूरी घटकर आधी रह जाएगी। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने भी इस पुल को एक सौगात बताया। 

14 वर्षों का वनवास हुआ खत्म
प्रतापनगर, लंबगांव और धौंतरी क्षेत्र के लगभग १५० गांवों वासियों के लिए इस पुल का निर्माण होना, वनवास खत्म होने जैसा है. क्योंकि उनके सपनों का पुल 14 साल के लम्बे इंतजार के बाद बनकर तैयार हो गया है. कई कंपनियों ने इस प्रोजेक्ट से अपना हाथ खींच लिया था. वर्ष 2016 में एक साउथ कोरियन कंपनी ने इसके निर्माण का जिम्मा उठाया और ३ वर्षों के बाद डोबरा-चांठी ​सस्पेंशन ब्रिज बनकर तैयार है.

वर्ष 2006 में शुरू हुआ था काम

डोबरा-चांठी सस्पेंशन ब्रिज का निर्माण साल 2006 में शुरु हुआ था, लेकिन काम के दौरान कई समस्याएं सामने आने लगीं. गलत डिजायन, कमजोर प्लानिंग और विषम परिस्थितयों के चलते 2010 में इस पुल का काम बंद हो गया था. साल 2010 तक इस पुल के निर्माण पर लगभग 1.35 अरब खर्च हो चुके थे. दोबारा साल 2016 में लोक निर्माण विभाग ने 1.35 अरब की लागत से इस पुल का निर्माण कार्य शुरू कराने का निर्णय लिया.
टिहरी के डोबरा चांठी पुल पर वाहनों का ट्रायल शुरू हो गया है। पीडब्ल्यूडी के द्वारा पुल पर कुल 14 वाहनों को लोड के साथ 30-30 मीटर की दूरी पर खड़ा किया गया है। मुख्य पुल का स्पान 440 मीटर है जबकि एप्रोच पुल सहित इस की कुल लंबाई 720 मीटर है ।पुल निर्माण में खर्च हुए कुल ३०० करोड
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि “डोबरा-चांठी वासियों समस्याओं को देखते हुए हमारी सरकार ने इस पुल को अपनी    प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर रखा। 14 सालों से निर्माणाधीन इस पुल के लिए हमारी सरकार ने एकमुश्त बजट जारी किया, जिसका परिणाम  जनता के सामने है”। इस पुल की क्षमता 16 टन भार सहन करने की है और उम्र 100 वर्षों तक. इस पुल की कुल चौड़ाई 7 मीटर है, जिसमें मोटर मार्ग की चौड़ाई 5.5 मीटर और फुटपाथ की चौड़ाई 0.75 मीटर है. इसके निर्माण में 3 अरब रुपए खर्च हुए हैंं। 

 इस पुल के प्रारंभिक निर्माण के  समय पिछली सरकार के दौरान करीब १५० करोड़ रुपये का गोलमाल सामने आने के बाद से २०१८ तक ब्रिज निर्माण कार्य बंद हुआ था। कुछ दिन पहले भी मुख्य गेट तोड़ने का समाचार भी दुर्भाग्यपूर्ण है।