संभव है कोरोना महामारी की आयुर्वेदिक चिकित्सा


डाॅ हरीश मैखुरी

कोरोना चिकित्सा – कोरोना एक तेजी से फैलने वाला छुआछूत का विषाणु संक्रमण है। यह तेजी एक से दूसरे मनुष्य को छूने साथ रहने से फैलने वाला संक्रमण है। कोरोना पॉजिटिव मनुष्य जिस जिस जगह हाथ से छूता है कोरोना के वायरस वहां फैलते रहते हैं। कोरोना वायरस का अभी तक कोई इलाज नहीं है। इसके संक्रमण को केवल सोशल डिस्टेंसिंग के माध्यम से एक दूसरे से दूरी बनाकर ही रोका जा सकता है। संक्रमित व्यक्ति को क्वॉरेंटाइन (सूतक) में रहना और सैनिटाइज किया जाना बहुत जरूरी है, इसलिए हर परिवार के सदस्य कृपया ध्यान दें

1 कोई भी खाली पेट न रहे 2 उपवास न करें 3 रोज एक घंटे धूप लें 4 AC का प्रयोग न करें 5गरम पानी पिएं, गले को गीला रखें 6 सरसों का तेल नाक में लगाएं 7 घर में कपूर वह गूगल जलाएं  8आधा चम्मच सोंठ हर सब्जी में पकते हुए डालें। 9रात को दही ना खायें 10. बच्चों को और खुद भी रात को एक एक कप हल्दी डाल कर दूध पिएं 11. हो सके तो एक चम्मच चवनप्राश खाएं 12. घर में कपूर और लौंग डाल कर धूनी दें 13 सुबह की चाय में एक लौंग डाल कर पिएं 14 फल में सिर्फ संतरा ज्यादा से ज्यादा खाएं 15 आंवला किसी भी रूप में चाहे अचार , मुरब्बा,चूर्ण इत्यादि खाएं। कोरोना के लक्षणों में मुख्य रूप से तेज सूखी खांसी,  तेज बुखार, छाती दर्द और सांस लेने में तकलीफ मुख्य लक्षण होते हैं। इसके लक्षणों के लिए एलोपैथिक में तो उपचार है ही, लेकिन ऐसा नहीं है कि संक्रमित व्यक्ति केवल एलोपैथिक दवाई से ही ठीक होता हो, जिनको एलोपैथिक दवा सूट नहीं करती उनके लिए आयुर्वेदिक में भी कोरोना के लक्षणों का बेहतरीन उपचार बताया गया है। इस संदर्भ में मन की बात के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चरक संहिता का जिक्र करते हुए आयुर्वेद की महत्ता पर प्रकाश डाला। इस के लिए बुखार में गिलोय नीम महासुदर्शन या कटुकी चूर्ण। सांस की तकलीफ में शहद अदरक त्रिकूट लें व स्नेहन लिया जा सकता है।

*1* दिन में चार बार गर्म पानी, हल्दी वाला गर्म दूध या चाय लीजिए और कंजेक्शन होने की दशा में  भाप लीजिए। 

*2* दूध में डाल कर प्रत्येक दिन 1 चम्मच हल्दी का सेवन नियमित करें।

*3* अनार एवं पपीता का सेवन जरूर करें।

*4* ग्रीन टी का प्रयोग नियमित करें।

*5* आजवाइन , तुलसी पत्ता , काली मिर्च , अदरक का काढ़ा बनाकर नियमित ले ।

 सितोपलादि चूर्ण 3gm जहर मोहरा पिस्टी 250 mg गिलोय सत्व 500mg लष्मीविलास रस 125 mg पंचकोल फंड काढ़ा bd आपामार्ग पंचांग क़वाथ। 

ll Any viral disorder = भूताभिषङ्ग

*व्याधि विनिश्चय* *CORONA 19 = कफोल्बण वात पित्तज ज्वर*
हेतू:- जनपदोध्वंस – वायू तथा काल विकृती।
स्थान विकृती*= उर:
स्रोतस= प्राणवह
उद्भवस्थान=आमाशय:
प्रगट स्थान:- ऊर्ध्व भाग
पूर्वरूप= अंगमर्द , आलस्य, अग्निमांद्य, प्रतिश्याय ,
रूप = अग्निमांद्य, ज्वर, क्षवथू, प्रतिश्याय , कास, श्वास
Protocol:- Chikitsaa sootra :- सान्निपातीक ज्वर तथा सामान्य ज्वर। *वर्धनेनैकदोषस्य……….. कफस्थानानुपूर्व्यांवा सान्निपातं ज्वरं जयेत्।। (च.चि.) ज्वरादौ लंघनम्……………….।।

* Prevention
Immunity boosting:-
*A.शोधन – अर्ह रूग्णे मृदु विरेचन, नस्य.
B. अल्प तथा लघु आहार सेवनम्।
C. अभ्यंगम्।
D. अर्ध शक्ती व्यायाम वा योगाभ्या|
E. रात्री भोजन,जागर त्याज्य।
F. षडंङ्गोदक वा उष्णोदक पानं
सार्वत्रिक सामूहिक धूपनम् (medifume) सायंकाले ६ वादने रक्षोघ्न धूपनं ७ दिन पर्यन्तम् इह लोके पूर्ण देशे परिसरे च कुर्यात्। द्रव्याणि:- निंब मरीच ,हिङ्गु, सर्षप, सुरसा,etc.
व्याधी परिमोक्षार्थे
कफस्थानानुपूर्व्यांंवा सान्निपात ज्वरं जयेत्। ज्वर मध्ये तु पाचनं तदानुसारे । वेगावस्थे वा रुपावस्थे।
लंघन,
दीपन,
पाचन,
शोधन :- अवस्था अनुसारे
अभ्यंगार्थे उरः संवाहनार्थे:-* महानारायण तैल,
गंडूष:-शुंठी, मरीच हरिद्रा क्वाथ।
औषधी धूमपानम् :- श्वासघ्न -यवै: घृतसंयुतैै:। धूमपानम् धत्तुर पत्रादि।
प्रतिसारणम् वा लेह्यम् :- कालक चूर्णम् (चरक)
अभ्यंतर चि.:- भल्लातक क्षीर पानम् , श्वास कुठार रस , कानकासव , रससिंदूर, अर्कपुष्पतालिसादि मिश्रणम् कंटाकार्यावलेह etc.
*संस्रुष्टान् सन्निपतितान् बुद्ध्वा तरतमैः समैः। ज्वरान्दोषक्रमापेक्षी यथोक्तैरौषधैर्जयेत्।*
एतन्न्यायेन ज्वरान्ते भेषजं दद्यात्। ज्वर मुक्ते विरेचनम्।।

🌷🙏कोरोनारक्षाकवचम् 🙏🌷

त्वं करुणावतारोऽसि कोरोनाख्यविषाणुधृक्।
रुद्ररूपश्च संहर्ता भक्तानामभयङ्करः ।।

मृत्यञ्जय महादेव कोरोनाख्याद्विषाणुतः ।
मृत्योरपि महामृत्यो पाहि मां शरणागतम् ।।

मांसाहारात्समुत्पन्नाज्जगत्संहारकारकात् ।
करुणाख्याद्विषाणोर्मां रक्ष रक्ष महेश्वर ।।

चीनदेशे जनिं लब्ध्वा भूमौ विष्वक्प्रसर्पतः ।
जनातङ्काद्विषोणोर्मां सर्वतः पाहि शङ्कर ।।

बालकृष्णः स्मरंस्त्वां वै कालकूटं न्यपादहो ।
न ममारार्भकः शम्भो ततस्त्वां शरणं गतः ।।

समुद्रमथनोद्भूतात् कालकूटाच्च बिभ्यतः ।
त्वयैव रक्षिता देवा देवदेव जगत्पते ।।

परक्षेत्रे चिकित्स्योऽयं महामारो भयङ्करः ।
भीषयति जनान्सर्वान् भव त्राता महेश्वर ।।

वैद्या वैज्ञानिका विश्वे परास्ताश्च चिकित्सकाः ।
आतङ्किता निरीक्षन्ते त्रातारं त्वामुमेश्वर ।।

रक्ष रक्ष महादेव त्रायस्व जगदीश्वर ।
पाहि पाहि प्रपन्नं मां कोरोनाख्याद् विषाणुतः ।।

नान्यं त्वदभयं जाने भीतानां भीतिनाशकृत् ।
अतस्त्वां शरणं यातं भीतं पाहि महेश्वर ।।

महायोगिन् महादेव कोरोनाख्यं विषाणुकम् ।
संविनाश्य जनान् रक्ष तव भक्तान् विशेषतः ।।११।।

मांसाहारान् सुरापानान् कामं संहरतादयम् ।
कोरोनाख्यो विषाणुस्तु मा हिंस्याच्छिवसेवकान् ।।१२।।

भिक्षुयोगेश्वरानन्दकृतं द्वादशपद्यकम् ।
जनः पठन् रक्षणीयस्त्वयैव परमेश्वर ।।१३।।