खबरदार! इस मौत पर मत देना श्रध्दांजलि!!

**दीपक बैंजवाल**

ये जो शख्स लेटा हुआ है.. असल में मरा पड़ा है.. एक मीडियाकर्मी है… एचटी ग्रुप से तेरह साल पहले चार सौ लोग निकाले गए थे… उसमें से एक ये भी है… एचटी के आफिस के सामने तेरह साल से धरना दे रहा था.. मिलता तो खा लेता.. न मिले तो भूखे सो जाता… आसपास के दुकानदारों और कुछ जानने वालों के रहमोकरम पर था.. कोर्ट कचहरी मंत्रालय सरोकार दुकान पुलिस सत्ता मीडिया सब कुछ दिल्ली में है.. पर सब अंधे हैं… सब बेशर्म हैं… आंख पर काला कपड़ा बांधे हैं… ये शख्स सोया तो सुबह उठ न पाया.. करते रहिए न्याय… बनाते रहिए लोकतंत्र का चोखा… बकते बजाते रहिए सरोकार और संवेदना की पिपहिरी… हम सब के लिए शर्म का दिन है…

हिमाचल प्रदेश के रवींद्र ठाकुर की ये मौत दरअसल खोखली पत्रकारिता की मौत है। हम पत्रकारो के दंभ की मौत है। हमारी उन कोरी संवेदनाओ की मौत है जो 13 साल तक अपने एक साथी के साथ कभी शिद्दत से खड़ी नही हो पाई।

रविन्द्र जी अच्छा हुआ मौत ने आपको इंसाफ दे दिया नही तो पैरे तले कुचलने के लिऐ ये मीडीया परतंत्र अनदेखी का चोला ओड़कर हमेशा आपकी खिल्ली उड़ाता फिरता!