मंत्रिमंडल विस्तार में चमोली को प्रतिनिधित्व मिलने की उम्मीद

 डॉ हरीश मैखुरी 

   उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा एक बार फिर से जोरों पर है समझा जा रहा है कि प्रकाश पंत के जाने के बाद उनका खाली पड़ा मंत्रालय भले फिलहाल मुख्यमंत्री के पास हो लेकिन भविष्य में मंत्रिमंडल का विस्तार तो होना ही है, इसी के मद्देनजर चमोली से भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं में अब चमोली को  प्रतिनिधित्व मिलने की प्रबल उम्मीद जगी है।                 
          उत्तराखंड की पहली नित्यानंद स्वामी सरकार में चमोली से केदार सिंह फोनियां को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था उसके बाद नारायण दत्त तिवारी सरकार में भी चमोली से तीन लोगों सत्येन्द्र सिंह बर्तवाल अनुसूया प्रसाद मैखुरी और केडी कनियाल को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था। उसके बाद खंडूरी व डाॅ. निशंक सरकार में भी चमोली से राजेंद्र सिंह भंडारी कैबिनेट मंत्री रहे। जबकिअअनुसूया प्रसाद भट्ट बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष रहे। तत्पश्चात विजय बहुगुणा और हरीश रावत सरकार में भी चमोली से राजेंद्र भंडारी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था, जबकि अनुसूया प्रसाद मैखुरी को विधानसभा उपाध्यक्ष बनाया गया था।                     
        लेकिन अब त्रिवेंद्र रावत सरकार में बद्री केदार मंदिर समिति को छोड़ दें तो चमोली को अभी तक कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला, राज्य गठन के बाद पहली बार जनपद चमोली और रुद्रप्रयाग जनपद को परिनिधित्व न मिलने से लोगों में भी खासी निराशा व उदासी है। इसी के मध्य नजर भारतीय जनता पार्टी के विधायकों में चमोली को प्रतिनिधित्व दिए जाने की उम्मीद है।           
      इस सम्बन्ध में चमोली से दूसरी बार विधायक चुने गए तेज तर्रार नेता और अपने क्षेत्र में निरंतर सक्रिय रहने वाले बद्रीनाथ से विधायक श्री महेंद्र प्रसाद भट्ट का कहना है कि “वह भारतीय जनता पार्टी के समर्पित सिपाही हैं, जैसा समाचार पत्रों में छप रहा और लोगों की बधाई आ रही है, यदि माननीय मुख्यमंत्री जी मंत्रिमंडल में लेते हैं तो यह सम्मान स्वीकार करते हुए जन अपेेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा”।  वहीं कर्णप्रयाग के विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी ने इस विषय में प्रतिक्रिया देने से परहेज किया, जबकि थराली की विधायक मुन्नी देवी का कहना है कि यह विषय मुख्यमंत्री जी का है। 
        चमोली उत्तराखंड का अत्यंत पिछड़ा हुआ और चीन सीमा से लगा हुआ जिला है, इसलिए इस जिले को प्रतिनिधित्व देने का मतलब एक तो हम पिछड़े क्षेत्रों का सम्मान कर रहे हैं, पलायन रोकने की दिशा में काम कर रहे हैं, और सीमा सुरक्षा की दृष्टि से भी  प्रतिनिधित्व दिया जाना अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। चमोली को प्रतिनिधित्व दिए जाने और स्थाई राजधानी गैरसैंण के मुद्दे पर मुख्यमंत्री का कहना है कि पिछड़े क्षेत्रों का विकास उनकी प्राथमिकता है। भजपा के चमोली जिलाध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने कहा कि चमोली को प्रतिनिधित्व दिए जाने के लिए वे निरंतर मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष से संपर्क में हैं उम्मीद है कि सकारात्मक परिणाम आयेंगे। बुजुर्ग नेता अनुसूया प्रसाद भट्ट का कहना है कि उम्मीद पर दुनियां कायम है।