चमोली – रिंगाल बना आर्थिकी का मजबूत जरिया 

रिपोर्ट-   संदीप — चमोली 
      उत्तराखण्ड सरकार द्वारा   परंपरागत दस्तकारों एवं हस्त शिल्पियों के लिए भले ही अनेक योजनाएं चलाई जा रहीं हो , बावजूद लोग इस कार्य से मुँह मोड़ रहे हैं  और इसकी संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। यही कारण है कि आज परम्परागत शिल्प विलुप्त होने के कगार पर है। ऐसे में उत्तराखण्ड के उन गाँवों में बड़ी तेजी से पलायन हो रहा है जो इन दस्तकारों से जुड़े हुए है। अब पुनः हस्त शिल्प को संरक्षित करने और उसे नई तकनीक में उतारकर रोजगार के नये आयाम स्थापित करने की पहल शुरू हो गई है।
चमोली जनपद में उद्योग विभाग द्वारा भारत सरकार की महत्वकांक्षी हस्त शिल्प विकास प्रोत्साहन योजना के अन्तर्गत यात्रा से जुडे विकासखण्ड पीपलकोटी , टंगड़ी ,हेलग के दस्ताकरों को इसके जरिए रोजगार की दिशा में स्वरोजगार अपनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यही नहीं उत्तराखण्ड सरकार ने उत्तराखण्ड के चारधाम सहित 625 मंदिरों में उत्तराखण्ड के उत्पादों से बना प्रसाद योजना का भी शुभारंभ कर दिया है। यह प्रसाद रिंगाल की टोकरियों पर देश-विदेश से आने वाले तीर्थ यात्रियों को दिया जायेगा। इस योजना से दस्तकारों को हजारों टोकरियां बनाने की डिमांड अभी से आने लगी हैं जिससे विलुप्त होने के कगार पर यह दस्तकारी एक बार फिर पुर्नर्जीवित हो गई है।  
बता दें चमोली जिले में बहुतायत में पाया जाने वाला रिंगाल अब  स्थानीय लोगों की आर्थिकी का मजबूत जरिया बन रहा  है I  अलकनंदा घाटी  में बद्रीनाथ हाईवे पर पीपलकोटी ,टंगड़ी ,हेलग के कारीगरों की रिंगाल से तैयार की गई खूबसूरत टोकरियों को यात्री हाथों-हाथ ले रहे हैं इससे स्थानीय लोगों को घर बैठे ही स्वरोजगार के बेहतर अवसर मिल रहे हैं I  जब से लोग यहां बसे उन्होंने रिंगाल  को काश्तकारी और घर के उपयोग का सशक्त माध्यम बनाया पहले कंडी, सोल्टी ,चटाई जैसे उत्पाद रिंगाल से तैयार किए जाते थे लेकिन बदलते जमाने के साथ इन उत्पादों की उपयोगिता घटती चली गयी I 
रिंगाल उद्योग से जुड़े  कारीगरों  ने इससे मुंह फेर लिया I  लेकिन एक बार फिर बदरीनथ यात्रा मार्ग में पीपलकोटी ,टंगड़ी ,हेलग  में काश्तकार रिंगाल  की टोकरी व्  शो  पीस को नए अंदाज में  पेश  रहे हैं , जिससे यात्री इन उत्पादों को हाथों – हाथ खरीद रहे हैं  I स्थिति यह है कि वर्तमान कई  लोग रिंगाल उद्योग को आर्थिकी का संबल जरिया बना चुके हैं I  बद्रीनाथ धाम में भी रिंगाल के उत्पादों की अच्छी खासी खपत हो रही है 
टंगड़ी गांव के 44 वर्षीय अगली लाल को यह विदा अग्नि लाल को अगले लाल को यह विद्या विरासत में मिली वे अपने प्रशिक्षण केंद्र के माध्यम से लोगों को प्रशिक्षित कर उन्हें स्वरोजगार प्रदान कर रहे हैं उनके इस कुशल कारीगरी स से उनको काफी पुरस्कारों से नवाजा गया है I