मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उत्तराखंड भ्रमण के लिए छड़ी यात्रा की तीर्थ नगरी हरिद्वार से किया शुभारम्भ

Chief Minister Shri Trivendra Singh Rawat inaugurated the holy pilgrimage city of Haridwar to visit Uttarakhand

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गुरूवार को हरिद्वार में श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े की राज्य के चारधाम व अन्य तीर्थो की यात्रा पर जाने वाली पवित्र छड़ी यात्रा को तीर्थ नगरी हरिद्वार की अधिष्ठात्री मायादेवी मन्दिर परिसर से अधिष्ठात्री मायादेवी, छड़ी एवं भैरव देवता की पूजा अर्चना, आरती एवं परिक्रमा करने के पश्चात रवाना किया। यात्रा पूरे प्रदेश का भ्रमण करने के पश्चात 12 अक्टूबर को वापस हरिद्वार पहुंचेगी।

       इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि इस छड़ी यात्रा के शुभारम्भ से उत्तराखण्ड में धार्मिक पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने इस यात्रा को आस्था एवं विश्वास से जुड़ा विषय बताते हुए कहा कि इससे समाज में सौहार्दता भी बढ़ेगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि आम जनमानस इस छड़ी यात्रा के अवसर पर पवित्र छड़ी का पूजन कर पूण्य के भागी बनेंगे। उन्होंने कोविड-19 के दृष्टिगत छड़ी यात्रा के संचालन के दौरान आवश्यक एहतियात बरतने की भी अपेक्षा आयोजको से की।

         जूना अखाड़ा के संरक्षक श्रीमहंत स्वामी हरिगिरि ने बताया कि यह पवित्र यात्रा 17 सितम्बर की रात्रि को ऋषिकेश में विश्राम के बाद 18 सितम्बर को ऋषिकेश से देहरादून, मसूरी, लाखामण्डल होते हुये बड़कोट पहुंचेगी। 19 सितम्बर को बड़कोट से जानकी चट्टी होते हुये यमुनोत्री पहुंचेगी तथा उत्तरकाशी में रात्रि विश्राम के बाद 20 सितम्बर को उत्तरकाशी से गंगोत्री धाम पहुंच जायेगी। पवित्र छड़ी यात्रा में जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेम गिरि, महंत शिखर गिरि, महंत रणवीर गिरि,  सचिव श्री महंत महेश पुरी आदि शामिल रहेंगे। जूना अखाड़ा के संरक्षक श्रीमहंत स्वामी हरिगिरि ने कहा कि छड़ी यात्रा प्रारम्भ करके मुख्यमंत्री ने एक बड़ी परम्परा का शुभारम्भ किया है। इससे पूर्व अधिष्ठात्री मायादेवी मन्दिर परिसर पहुंचने पर मुख्यमंत्री का भव्य स्वागत किया गया।
         इस अवसर पर शहरी विकास, आवास मंत्री श्री मदन कौशिक, मेला अधिकारी श्री दीपक रावत, जिलाधिकारी श्री सी0 रविशंकर, आई0जी0 श्री संजय गुंजयाल, श्री महंत केदार पुरी, सभापति श्री महंत सोहन गिरि, श्रीमहंत पृथ्वी गिरि, श्रीमहंत शिवानन्द सरस्वती जी, सचिव श्रीमहंत महेश पुरी, शैलेन्द्र गिरि आदि उपस्थित थे।