चीन और पाकिस्तान तो वही कर रे हैं जो वे करते आये हैं, हां भारत अब अवश्य नयां और बड़ा कर रहा है

हरीश मैखुरी 

इन दिनों सीमाओं पर हो रहा है उसमें चीन और पाकिस्तान तो वही कर रहे है जो वे करते आये हैं। हां भारत अवश्य नयां व बड़ा कर रहा है, पाकिस्तान में #घुसकर इस्लामिक आतंकवादियों के ठिकाने ध्वस्त किए जा रहे हैं, #आप्रेशन #आलआउट के अन्तर्गत हजारों आतंकवादियों का खात्मा किया जा रहा है। भारत में उनके सरपरस्त अलगाववादी नज़रबंद किए जा रहे हैं। बामपंथी चीन को भी अब उसी की भाषा में मुंहतोड़ जवाब दिया जा रहा है और अपनी एक एक इंच भूमि का हिसाब लिया जा रहा है। इससे पहले तो चरवाहे सूचना देते थे कि दुश्मन देश ने भारत का कितना नुकसान किया अब हमारे ५६ इंची जवान उन दुर्गम सीमाओं पर मुंह तोड़ जवाब दैते हैं। सीमाओं पर तेजी से मोटर सड़कों और हवाई पट्टियों का जाल बिछाया जा रहा है। सेना को आधुनिक युद्ध तकनीक और उपकरणों से सुसज्जित किया जा रहा है। यही उनकी बौखलाहट का कारण है। बताया जा रहा है कि लद्दाख ग्लवान घाटी में भारत चीन सैनिकों के बीच कल रात हुई झड़प में कर्नल संतोष बाबू सहित२० सैनिक शहीद हुए जबकि जबाबी कार्यवाही में चीन के ४३ सैनिकों को ढेर किये जाने की खबर है। यानी बार्डर पर भारत के नये तेवरों से चीन हताशामय विस्मयकारी बौखलाहट में है। चीन भी समझ रहा कि भारत अब १९६२ वाला नहीं रहा, वो जानता है भारत ने नेवी में पिछले 6 साल में दर्जन भर से ज्यादा छोटे-बड़े-बैकअप परमाणु पनडुब्बियों सहित युद्ध पोत क्या पाकिस्तान के लिए उतारे गए हैं? शिनूक, अपाचे, बराक-8, इजराइली टनल बम,द्रोण का जखीरा, दो टाइप की होवित्जर, ग्लोबमास्टर, मिग के अपग्रेड,अर्जुन, काली, ब्रह्मोश, एन्टी सैटेलाइट आदि भयानक हथियारों को पांच साल से लगातार पाकिस्तान के लिए इकट्ठा किया जा रहा था क्या? पूर्वोत्तर में सबसे ऊँचा पुल, सबसे लंबा पुल, एरोड्रम, सड़क, डबल गेज रेल और यहां तक कि कोविड के बीच रिकॉर्ड 1 महीने में बर्फ पिघलने से पहले और पेट्रोलिंग बढ़ने से पहले ही लद्दाख साइड में 60 टन क्षमता का पुल क्या पाकिस्तान के लिए बनाया गया है?

मेक इन इंडिया से शुरु करके स्वदेशी अपनाओ के नारे तक पहुँच जाना क्या पाकिस्तान से निपटने के लिए है। ये नया हिंदुस्तान है, बस ये एक खूंटा ही पाकिस्तान के लिए काफी था फिर CDS की नियुक्ति किसलिए? ये सारी पाकिस्तान के नाम से की गई तैयारी इसीलिए थी कि आगे से चिन्कों का भारतीय सीमा में शेर बनने का गुरूर तोड़ दिया जाय। अब की बार चीन की कमर तोड़ के ही मानेगी सेना…अगले साल या तो चिन्के लाइन देख कर चलना सीख जाएंगे नहीं तो चीन में लोकतंत्र स्थापित हो जाएगा। इसलिए चीनी प्रवक्ताओं, जासूसों और चरण चाटुओं के चक्कर में न उलझो, अपनी सेना पर भरोषा करो और आधिकारिक बयान के अलावा चीनी एजेंटों, मक्कारों व चीन प्रेमियों से सावधान रहें। धर्म भारतीय सेना के साथ है। और हां चमचों के मदरसा छाप ज्ञान से दूर ही रहना क्यों कि जैसा उनके नेता वैसे ही गुलाम।

आप चीनी मीडिया और उनका सोशल मीडिया देखिए, एकमत सेे लोग सेना व देश के साथ खड़े है। इधर अपने देश में कई लोगों का अपनी सरकार को कोषना आरम्भ हो गया, ये वही हैं जो चीन द्वारा हमला किए जाने की दशा में उसी के पक्ष में माहोल बनाने लगेंगे।

यह युद्ध है, इसमें क्षति तो दोनों ओर होगी लेकिन जो देश मज़बूती से अपनी सेना के साथ रहेगा जीत उसी की होगी। आश्चर्यजनक रूप से भारत में टुकड़े गैंग, कुछ मीडिया संस्थान और कुछ राजनीतिक दल देश की केन्द्र सरकार के विरोध में इतने अंधे हो चुके हैं कि उन्हें यह भी नहीं पता रहता कि कब देश के साथ खड़ा रहना है और कब प्रश्न उठाने चाहिए। आप खुद सोचिये ऐसे संवेदनशील दौर में राहु के व्यंग्यात्मक ट्वीट किसकी मदद कर सकते हैं? चीन आज उसी ज़मीन पर ‘गुल’ खिला रहा है जिस ज़मीन को ‘बंजर’ कहकर चीन को उस पर क़ब्ज़ा करने दिया गया था। इसी को कहते हैं, ‘लम्हों ने ख़ता की थी, सदियों ने सज़ा पाई’। अरे चीन के खिलाफ पहले तो भारत सरकार का साथ देना चाहिए, नहीं तो कम से कम भारतीय सेना का तो मनोबल बढ़ाओ, ये देश की सेना है किसी की पार्टी विशेष की नहीं।…जय हिंद। जय जय हिंद की सेना। 💐