अजीत डोभाल की रणनीति देख चीन हटा पीछे, नेपाल को भी सता रहा सरकार जाने का डर

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एन एस ए अजीत डोभाल के तेवर देख कर चीन अपनी औकात पर आ गया है। इधर अमेरिका ने भी भारत के पक्ष में चीन को सबक सिखाने के लिए हिंद महासागर में अपने दो सबसे बड़े युद्ध पोत तैनात कर दिए हैं। लगता है चीन को अपनी औकात पता चल गयी है। चारों ओर से घिरा देख चीन ने गलवान घाटी सेअअपनी सेना के पीछे हटाने के साथ ही दोनों देशों के बीच विवाद कम होने की तरफ इशारा किया है। इस सीमा विवाद को सुलझाने के लिए भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच वार्ता हुई थी। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, रविवार को दोनों के बीच हुई बातचीत के बाद ही चीन ने यहां से अपनी सेना को पीछे हटाया है।NSA अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री यी की बातचीत में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ शांति की पूर्ण और स्थायी बहाली को लेकर ध्यान केंद्रित करने की बात कही गई।रविवार को सुबह 8.45 बजे, सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को फोन करके जानकारी दी कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) गलवान घाटी के वाई-जंक्शन से सैनिकों को पीछे के बेस कैंप की ओर ले जा रही है। उसी शाम, 5 और 6 बजे के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत की।

बातचीत के दौरान अजित डोभाल ने पूर्वी लद्दाख में 1597 किलोमीटर लंबे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के चार प्वाइंट पर भारतीय सेना के गश्त अधिकारों को बहाल करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए दोनों पक्षों ने मिलकर काम करने की बात कही। अधिकारियों ने कहा कि पीएलए गेलवान में गतिरोध बिंदु से लगभग एक किलोमीटर दूर चला गया है, जहां 15 जून को दोनों सेनाओं के सैनिक आपस में भिड़ गए थे।चीन ने हटाए टैंट

सूत्र ने बताया कि 15 जून को एलएसी पर झड़प वाली जगह पेट्रोलिंग पॉइंट 14 से चीनी सेना 2 किलोमीटर पीछे हटी है। 30 जून को भारत चीन के लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों के बीच हुई बैठक के बाद पहली बार चीनी सैनिक पीछे हटे हैं। भारतीय जवानों के शहीद होने के बाद भारत की सेना ने भी यहां पर बंकरों और अस्थायी टेंट का निमार्ण करते हुए चीन को माकूल जवाब देने की तैयारी कर ली थी।चीन ने बढ़ा दी थी सैनिकों की तादाद
सभी विवादित क्षेत्रों में चीनी पक्ष ने बड़ी संख्या में अपने सैनिकों को भेजकर एलएसी को बदलने की कोशिश की है। लद्दाख सेक्टर में एलएसी पर लगभग 20,000 सैनिकों को तैनात करने की सूचना है, जबकि चीन ने 12,000 सैनिकों को रिजर्व में रखा था, जोकि 48 घंटों में एलएसी तक पहुंच सकते हैं। चीन की सेनाओं का मुकाबला करने के लिए भारत ने लद्दाख में सैनिकों की तैनाती भी की है।
अजीत डोभाल के तेवर देख चीन औकात पर आ गया है चाइना के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि-भारत मे “हिन्दू राष्ट्रवादी ताकतें” भारतवर्ष को सुपरपावर बनाने में जी जान से जुटी है और वे चीन से बहुत नफरत करते है । 
तो इधर नेपाल के प्रधानमन्त्री ने औली ने कहा मोदी मेरी सरकार ले डूबेगा, मोदी मेरी सरकार गिराना चाहते हैं अच्छी खबर ये है कि चौकियां छोड़कर चीन पीछे हटा तो और नेपाल भी भारत सीमा से अपनी दो चौकियों से बिस्तर समेट लिया। अजीत डोभाल के तेवर देख चीन हटा पीछे, नेपाल के प्रधानमन्त्री को डर मोदी मेरी सरकार ले डूबेगा । चीन के पीछे हटते ही नेपाल-पाकिस्तान अपने आप औकात पर आ गए। चीन के पीछे हटने की खबर आते ही उत्तराखंड पिथौरागढ़ के दरचूला क्षेत्र की अपनी पोस्टों को समेट लिया है, उधर पाकिस्तानी सेना और सरकार में भी घबराहट की खबर है। पाकिस्तान ने भारत के डर से चीन को POK के कुछ हिस्से दे रखे हैं और वहाँ के खनिज संसाधनों को भी चीन के हवाले कर दिया है। नीलम-झेलम और कोहला हाइड्रो प्लांट्स के विरोध में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे और चीन व पाकिस्तान विरोधी नारे लगाए।
ये सभी देश अपने आका चीन के दम पर फुदक रहे थे, आका ने ही सरेंडर कर दिया।

भारत की सुगठित कूट नीति देख कर लगता है मोदी है तो मुमकिन है।