बिंदास महिलाओं ने बदले मानक

1. पहले शादियों में घर की औरतें खाना बनाती थीं और नाचने वाली बाहर से आती थीं। अब खाना बनाने वाले बाहर से आते हैं और घर की औरतें नाचती हैं। पहले फटे हुए कपड़े गरीबी और मजबूरी समझी जाती थी अब फटे हुए कपड़े अमीर पहनने लगे, अर्धनग्न हो कर घुमने पर जिसे फैशन कहा जा रहा है हमारी संस्कृति में इसे प्रछन्नता कहते हैं। फटेे हुए कपड़े पहनने भी वास्तु दोष की श्रेणी में आता है। इससे बने बनाये काम बिगड़ सकते हैं। महिलायें ही समाज बदलने का माद्दा रखती हैं।
2- पहले लोग घर के दरवाजे पर एक आदमी तैनात करते थे ताकि कोई कुत्ता घर में न घुस जाये। आजकल घर के दरवाजे पर कुत्ता तैनात करते हैं ताकि कोई आदमी घर में न घुस जाए।
3- पहले आदमी खाना घर में खाता था और टायलेट घर के बाहर करने जाता था। अब खाना बाहर खाता है और टायलेट घर में करता है।
4- पहले आदमी साइकिल चलाता था और गरीब समझा जाता था। अब आदमी कार से ज़िम जाता है साइकिल चलाने के लिए।
।। लाश को हाथ लगाता है तो नहाता है …
पर बेजुबान जीव को मार के खाता है ।। 
✴ लाइन छोटी है,पर महत्व बड़ा है – – 
✴  पायल हज़ारो रूपये में आती है, पर पैरो में पहनी जाती है 
 बिंदी 1 रूपये में आती है मगर माथे पर सजाई जाती है 
 इसलिए कीमत मायने नहीं रखती उसका कृत्य मायने रखता 
✴  नमक की तरह कड़वा ज्ञान देने वाला ही सच्चा मित्र होता है,