बुग्यालों के अस्तित्व पर संकट!! उम्मीदें ग्रुप के देवदार तीन सौ पेड़ों में से केवल पैंतीस ही रह पाये जीवित!!

✍️हरीश मैखुरी

उम्मीदें ग्रुप के मुखिया मनोज कुमार बिष्ट ने जो जानकारी दी वह निराशाजनक और हत्प्रभ करने वाली है। मनोज के अनुसार  2017 में उम्मीदें ग्रुप गोपेश्वर के सदस्यों द्वारा चोपता में सफाई अभियान 300 पौध देवदार के रोपण का कार्यक्रम किया गया था लेकिन 300 पौध में से आज केवल 30 या 35 पौध ही बचे रह गयेे हैं, बाकी के मवेशीयों के पावों से रौंद गये या पर्यटकों अथवा चरवाहों क काट  उनके टुकु काट दिि जाने के  समाप्त हो चुकी हैं । पहले बुग्याल जाने के दिन बार मुहूर्त समय और नियम तय थे। उस समय से पहले किसी को बुग्याल जाने की अनुमति नहीं होती थी। लाल पीले काले और सफेद वस्त्र तथा जूते पहनकर बुग्याल जाने पर रोक थी। बुग्याल की शांति बनी रहे इसलिए वहां जोर से बोलना हंसना चीखना चिल्लाना निषेध था। अब की अंग्रेजी पीढ़ी इतनी संवेदनशील नहीं है ना उसे बुग्यालों में प्रकृत्ति की कोमलता का भान है। 

बता दें कि दिनांक 23.7.17 रविवार के दिन उम्मीदें ग्रुप गोपेश्वर द्वारा अपने वृक्षारोपन अभियान के अन्तर्गत चोपता धोती धार की सीमा में 300 पौध देवदार के लगाये थे। देवदार बर्फीले क्षेत्र का वृक्ष है।इसकी बढ़ने की दर कम है लेकिन जीवित रहने की सम्भावना सौ प्रतिशत है। 

चार वर्ष  पूूर्व आज ही  के दिन ग्रुप सदस्यों एवम अन्य संभ्रान्त नागरिकों के सहयोग से उत्तराखंड के मीनि स्वीटजरलैंड (चोपता)में स्वच्छता अभियान के दौरान एक ट्रक प्लास्टिक की बोतलों का कूड़ा रिसाइक्लिंग के लिए लाया गया। 
चोपता के बुगयालों में अत्याधिक मात्रा में कूड़ा होने के कारण एक ओर बुग्याल समाप्ति की ओर हैं वहीं चोपता से भगवान तूँगनाथ के पैदल मार्ग एवम बुग्याल मानवकृत गन्दगी का दंश झेल रहे हैं.
यदि तुरन्त कार्यवाही न की गयी तो इस रमणीक स्थान के साथ ही उत्तराखंड के इस प्रसिद्ध पर्यटन स्थल का भविष्य भी समाप्त हो जायेगाा। 
तब मनोज ने कहा था आज मैं पूरे ग्रुप के साथ इस नेक कार्य से इसलिए अति प्रसन्न हूँ क्यूँकि सदैव इस धरा नें हमें दिया ही दिया है लेकिन हमने इसे कुछ नहीं दिया था,आज ये सब करने के उपरान्त ये लगता है कि हमने आज कुछ अच्छा कार्य किया। लेकिन आज मनोज कुमार बिष्ट पेड़ों की दशा  आहत हैं।