खटाई में पड़ा देहरादून-हरिद्वार मेट्रो प्रोजेक्ट

देश के अब तक सभी मेट्रो प्रोजेक्ट केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त उपक्रम के रूप में चल रहे हैं। जिसमें केंद्र और राज्य सरकार करीब 15-15 प्रतिशत की पूंजी लगाती हैं, जबकि शेष प्रोजेक्ट बाजार से लोन लेकर पूरा किया जाता है। लेकिन अब केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट मंजूर करने की शर्तें सख्त कर दी हैं। नई गाइडलाइन के मुताबिक अब राज्य सरकारों को नया प्रोजेक्ट मंजूरी के लिए भेजने से पहले इसके लिए पीपीपी मॉडल के तहत निवेशक भी जुटाने होंगे। भले ही निवेश मेट्रो के कुछ हिस्सों में हो। इससे उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य के लिए मेट्रो प्रोजेक्ट शुरू करना मुश्किल हो जाएगा। कारण, उत्तराखंड में मेट्रो रेल के लिए बहुत अधिक यात्री नजर नहीं आ रहे हैं, जबकि यहां पहले फेस का प्रोजेक्ट ही सौ किलोमीटर से अधिक का बैठ रहा है। इस कारण निजी निवेशक उत्तराखंड मेट्रो में शायद ही रुचि दिखाएं।

उत्तराखंड मेट्रो के एमडी जितेंद्र त्यागी के मुताबिक केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन में पीपीपी मॉडल पर जोर दिया गया है। इससे उत्तराखंड के लिए दिक्कतें तो बढ़ेंगी, लेकिन फिलहाल डीपीआर में उत्तराखंड मेट्रो रेल के लिए निवेशक के विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है। डीपीआर आने के बाद ही इस पर स्थिति स्पष्ट होगी।