दिवाकर भट्ट ने उधेड़ी मुजफ्फरनगर कांड 2अक्टूबर 1994 की सच्चाई

मुजफ्फरनगर कांड 2अक्टूबर 1994 की सच्चाई नौजवान अवश्य पढ़ें

28 सितंबर 1994 को देहरादून में मीटिंग हुई, मोर्चे ने तय किया हम दिल्ली जाएंगे और 2 अक्टूबर को रामलीला मैदान में प्रदर्शन कर अंततः संसद कूच करेंगे बडोनी जी के द्वारा मुझे व दिल्ली प्रदेश की कार्यकारणी एवं अन्य कार्यकर्ताओ को दिल्ली रामलीला मैदान में जनसभा व संसद कूच की व्यवस्था के लिए जिम्मेदारी दी गयी हम लोग पूर्व में ही दिल्ली पहुचे पर जब दिल्ली प्रशासन से हमने अनुमति मांगी तो दिल्ली पुलिस मुख्यालय में ही हमे गिरफ्तार कर लिया गया उन्होंने कहा की उद्धमसिंधनगर अख़बार में बयान आया है की हमारे पूर्व फौजी बावर्दी हथियारों और लबालब असलहों के साथ दिल्ली रैली में पहुच रहे हैं तब हमने उनको प्रमाण सहित समझाया की ये कॉल भारतीय जनता पार्टी के सांसद ने हमारे आंदोलन को बदनाम करने के लिए की है मैंने उन्हें स्पष्ट किया कि रैली उनकी नही हमारी है तब उन्होंने हमे छोड़ा परंतु हमे रामलीला मैदान में रैली की अनुमति नही दी गई बड़ी जद्दोजहद के बाद हमे लालकिले के पीछे बौराड़ी में जनसभा की अनुमति दी गयी पर हमारा लक्ष्य संसद घेराव का था हमें कुछ क्रांतिकारी साथियो को 2 अक्टूबर को दिल्ली, जंतर मंतर में मिलने के लिए कहा गया जैसे तैसे हमने दिल्ली आने वाले आंदोलनकारियों तक ये बात पहुंचाने का प्रयास किया, ताकि सब एकत्रित होकर संसद कूच में प्रतिभाग करें, जो लोग 2 अक्टूबर को लाल किला के पीछे बौराड़ी पहुंचे देखते ही देखते लाल किला छावनी में तबदील हो गया, हम 75 लोगों का दल अभी सुरक्षित था सो बिना किसी को जानकारी दिए हम संसद कूच पर निकल पड़े, पहले गेट को पार कर दूसरे गेट पर पुलिस बल ने हमे घेर लिया और संसद मार्ग थाना में रखा फिर पुलिस ने हमे वहां से मन्दिर मोहल्ले थाने में ले गए कुछ को रात को छोड़ा उधर दिल्ली कूच कर रहे आन्दोलनकर्ताओं पर तत्काल मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने अपनी बर्बरता और गुंडई का परिचय देते हुए पुलिस बल तैनात कर दिया, मुजफ्फर नगर में पहुँचते ही डीएम अनन्त सिंह को सख्त निर्देश दिए कि देखते ही गोलियां चलवा दो, काट दो मार दो दफना दो परंतु इन गंवार उत्तराखंडियों को दिल्ली मत पहुचने दो, मुजफ्फरनगर पहुचते ही आंदोलनकारियों पर हमला हुआ, नतीजन 6 मर्डर 7 बहनों से बलात्कार 17 बहनों के साथ बदसलूकी, हज़ारों घायल…..
मैंने रात्रि न्यूज में ये सब देख स्तब्ध हो गया, इसीलिए थाने से निजी मुचलके में 3 तारीख सुबह हम बहार आये ठीक उसी समय फैसला किया अब उत्तराखंड ले कर रहूंगा,वापसी में देहरादून आना था पर पार्टी के पहले तय कार्यक्रम के अनुसार मुझे बाला साहब ठाकरे से मिलने मुम्बई जाना था, अगले दिन मुजफ्फरनगर कांड में घायल हुए कार्यकर्ताओं को देखने देहरादून, आया, पहुंचते ही देखा आंदोलनकर्ताओं पर वहां भी लाठीचार्ज किया जा रहा है दुखी होकर शिव सेना सुप्रीमो बाला साहब ठाकरे से मदद की गुहार लगाई, मैं मुम्बई चला गया, वापस में मीडिया ने ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पर मुझे घेर लिया और मुजफ्फरनगर कांड पर टिप्पणी मांगी मैंने तब भी यही कहा जो हाथ हमारी मा बहन पर उठा और उठेगा उसे तोड़ मरोड़ दिया जाएगा । हमने कोर्ट में मुजफ्फरनगर कांड में दोषियों को सज़ा दिलाने के बावत (जो अभी भी सी बी आई कोर्ट में मुकदमा चल रहा है) मुकदमा किया, इतने में घटना के गवाह कांस्टेबल सुभाष गिरी को गाज़ियाबाद चलती ट्रेन में मरवा दिया गया, मौ0 नसीम अहमद एस0 पी0 सिटी को हटवा दिया गया, मसलन आज भी जांच लंबित है, लिखने बैठूं तो बहुत कुछ है, गंदे , घृणित, और दगलत लोग इस मुद्दे पर भी राजनीति करते आ रहे हैं, और करते रहेंगे क्योंकि मा बहन की इज़्ज़त से अधिक उन्हें धन और ऐशो आराम की आवश्यकता हैं, मा की इज़्ज़त एक सच्चा आंदोलनकारी ही समझ सकता है, इस मुद्दे पर मैं कभी राजनीति नहीं करूंगा, और न कभी की है क्योंकि मैंने उत्तराखण्ड के लिए मृत्यु तुल्य कष्ट सहे आंदोलन के समय मुर्दे की लकड़ियों से खाना पकाया, शमशान घाटों में तक रात बिताई, अपने कार्यकाल में विधानसभा पटल पर ये बात बार बार रखी, पीछे न हटा था न हटूंगा लेकिन इंसाफ के लिए मरते दम तक लड़ूंगा, इस सत्य को जन जन तक पहुंचना चाहिए जय उत्तराखंड…. दिवाकर भट्ट