दूधी को घास न समझें, इन रोगों की दिव्य औषधि है

दूधी को घास न समझें, इन रोगों की दिव्य औषधि है #मेरी_ग्रामीण_स्वरोजगार_योजना के तहत निर्मित #औषधीय_पौधों_की_जिसकी पौध तैयार हो रही है नर्सरी में …🌳🌳

आइए जानते हैं इस अलौकिक दिव्य औषधि के बारे में

#दूधी_के_अन्य_भाषाओँ_में_नाम…..

हिन्दी : दूधी, दूधिया घास
अंग्रेजी : मिल्क एडज
संस्कृत : दुग्धिका, नागार्जुनी
गुजराती : दुधेली, नानी
पंजाबी : दुधी, दोधक
अरबी : फाशरा
फारसी : शीरेगियाह, शीरक
मराठी : लाहन, नायटी

#दूधी_की_उपयोगिता….

#मासिक_धर्म_में_दूधी_उपयोगी..

मासिक धर्म (रक्त प्रदर) में हरी दूधी को छाया में सुखाकर कूट छानकर प्रतिदिन एक चम्मच दिन में दो बार खाने से वीर्य की उतपत्ति होती हैं और अनावश्यक मासिकस्राव रुक जाता है।

#दस्त_में_दूधी_उपयोगी….

बच्चों के दस्त में दूधी के पत्तों के 2 ग्राम चूर्ण या बीज की फंकी देने से दस्त (अतिसार) में लाभ होता है और बच्चों के पेट के कीड़े मर जाते हैं।

#पेचिस (प्रवाहिका) #में_दूधी_उपयोगी….

पेचिस में रक्तमिश्रित पेचिस तथा उदरशूल में दूधी के पंचांग का स्वरस 5-10 ग्राम, शहद 1 चम्मच में मिलाकर नियमित सेवन करने से लाभ होता है।

#सफेद_पानी_में_दूधी_उपयोगी…

सफेद पानी (श्वेत प्रदर) में दूधी की 2 ग्राम जड़ को घोंटकर छानकर दिन में तीन बार पिलाने से योनि से निकल रहे सफ़ेद पानी और रक्त निकलना बंद हो जाता है।

#दुग्धवर्द्धक_में_दूधी_उपयोगी…

दुग्धवर्धक (स्तनों में दूध की वृद्धि) में कोई भी माता को दूध आना बंद हो जाये तो दूधी का दूध 500 मिलीग्राम से 1 ग्राम की मात्रा में 10-20 दिन प्रातः सांय पिला देने से लाभ होता है।

#मुहांसे_चर्मकील_में_दूधी_उपयोगी….

चेहरे पर मुहांसों और दाद पर दूधी का दूध लगाने से मुहांसे जड़ से खत्म हो जाता है।

#मधुमेह_रोग_में_दूधी_उपयोगी…

मधुमेह रोग में छोटी दूधी, गुड़मार बूटी, पारासी कयवानी, जामुन की गुठली ये चारों बूटी लेकर बराबर-बराबर मात्रा में जल के साथ पीसकर झाडी के बेर जितनी गोलियां बना लें, इसमें से दो गोली सुबह और दो गोली शाम को ताजे जल के साथ सेवन करें…।
परहेज, मीठी, तली, भुनी, अलमवादी वाली वस्तुओं का सेवन न करें। मधुमेह जड़ से नष्ट हो जायेगा…।

#सर्प_विष_में_दूधी_उपयोगी…

सर्प काटने पर दूधी की 15 ग्राम पत्तियों को पीसकर 5-7 नग काली मिर्च मिलाकर सांप के काटे हुए स्थान व व्यक्ति को खिलाने से सांप का विष उत्तर जाता है…।

#दमा_में_दूधी_उपयोगी…

दमे में दूधी के पंचाग का काढ़ा या स्वरस 5-10 ग्राम मात्रा में शहद के साथ 1 चम्मच मिलाकर पीने से आराम दायक होता है।

#गंजापन_में_दूधी_उपयोगी….

गंजापन में दूधी के पंचाग का स्वरस तथा कनेर के पत्तों के रस को मिलाकर सिर के गंजे पर लेप करने से बाल सफेद होना बंद होकर गंजापन दूर होता है।

#खुजली_में_दूधी_उपयोगी….

खुजली में ताजी दूधी या सूखी हुई दूधी 20 ग्राम लेकर बारीक पीसकर इसमें 10 ग्राम गाय का मक्खन मिलाकर इसका लेप खुजली के स्थान पर करें और चार घंटे बाद साबुन से धो डालें कुछ दिन के सेवन से ही सभी प्रकार की खुजली दूर हो जाएगी….।

#हकलापन_में_दूधी_उपयोगी…

हकलापन में दूधी की जड़ दो ग्राम की मात्रा में पान में रखकर चूसते रहने से हकलापन दूर होता है।

#नकसीर_नाक_से_खून_आना_में_दूधी_उपयोगी…

नाक से खून आने पर छाया शुष्क दूधी में बराबर की सेंगरी मिश्री मिलाकर महीन चूर्ण बना लें।
प्रातः सांय एक चम्मच चूर्ण गाय के दूध के साथ लेने से नकसीर, नाक से खून आना बंद हो जायेगा और गर्मी इत्यादि दूर होती है।

#रतौंधी_में_दूधी_उपयोगी….

रतौंधी में छोटी दूधी के दूध से सलाई को तर करके रतौंधी के रोगी के नेत्रों में सलाई को अच्छी प्रकार फिरा दें, कुछ देर बाद नेत्रों में बहुत वेदना होगी, जो एक प्रहर के पश्चात शांत हो जाएगी, एक बार प्रयोग में ही रतौंधी का रोग जड़ से निकल जायेगा…।

#जलोदर_में_दूधी_उपयोगी…

जलोदर (पेट में पानी भरना) के रोगी को पानी की जगह दूधी के पंचाग स्वरस को पिलाया जाये तो बहुत लाभ होता है।

#कांटा_चुभ_जाने_दूधी_उपयोगी..

पैर में कांटा चुभ जाये तो दूधी को पीसकर लेप करने से काँटा निकल जाता है।

#दूधी_के_नुकसान…

दूधी का अधिक प्रयोग हृदय के लिए हानिकारक है।

#दूधी_का_परिचय….

निचली पहाड़ियों पर तथा मैदानी भागों में दूधी के स्वयंजात प्रसरण शील क्षुप पाये जाते हैं। दूधी का एक भेद भी पाया जाता हैं जिसे बड़ी दूधी (Eupborbia birta Linn.) कहते हैं….
रंग भेद से छोटी दूधी भी सफेद तथा लाल दो प्रकार की होती है। दूधी की कोमल शाखाओं को तोड़ने से सफेद दूध जैसा पदार्थ निकलता है।

#दूधी_के_बाह्य_स्वरूप….

छोटी दूधी का क्षुप जमीन पर छत्ते की भांति चारों ओर फैला रहता है, मूल से अनेक पतली शाखाएं लाल और सफेद की हरिताभ सफ़ेद होती है।
पत्तियां सूक्ष्म, अभिमुख, पुष्प हरे या गुलाबी गुच्छों में लगते है फल और बीज दोनों ही बहुत छोटे होते हैं। बड़ी दूधी का क्षुप 1-2 फुट ऊंचा होता है।
पत्र अभिमुख हरित ताम्रवर्ण के एक से डेढ़ इंच लम्बे तथा आधा इंच से कुछ ही कम चौड़े होते हैं, फूल हरिताभ गुच्छों में लगते हैं…

#दूधी_के_रासायनिक_संघटन….

दूधी में एक हरितवर्ण सुगंधित तेल, जिसमें साइमोल, कार्बोकरोल, लाइमोनीन तथा सेलिसीलिक अम्ल होते हैं। पत्तियों और तने में ग्लाइकोसाइड होता है…

#दूधी_के_गुणधर्म और इसकी दिव्यवता को जानकर हम भविष्य में इसके संरक्षण के साथ आत्मनिर्भरता और स्वरोजगार योजना के तहत आगे बढ़ सकते हैं जो भविष्य के लिए सुखद अनुभूति देगा..🤗🤗🙏🙏

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