न किसानों की उपेक्षा हो न किसान अन्न का दुरुपयोग करें

हरीश मैखुरी

असली किसान इस मौसम में खेतों में बुआई का  काम कर रहा है उसके लिए ये करो या मरो का मौसम होता है। परन्तु सुना है कि कुछ कथित किसान इन दिनों खेती की बजाय आन्दोलन कर रहे हैं और हमारे देश के अन्नदाता इतने धनवान हैं कि अन्न की दूध शब्जियां खेत खलिहानों से लाकर सड़कों पर बिखेर रहा है। और तो और इसे बेचने की बजाय सड़कों पर फेंकने लगे हैं। यानी #अच्छेदिन तो फिर आन्दोलन किस बात के लिए? कभी दिल्ली आकर टट्टी और चूहे खाने का नाटक करते हैं, कभी लाल झंडे वाले ठगों के चक्कर में काम धाम छोड़कर 400 किलोमीटर पैदल भागते हैं। सरकारें इनकी सभी सब्सिडीयों की समीक्षा करे। सभी मंडी परिषदों की करोड़ों की इमदाद समाप्त करे। सस्ते गल्ले के लिए राशन निजी किसान समितियों से ली जाय सहकारी समिति सफेद हाथी साबित हो रही है। कामर्शियल फसलों के लिए कामर्शियल दरों पर ही बिजली दी जाय। नकली किसान बन कर अन्न की बर्बादी करने जैसे कृत्य को अपराधिक श्रेणी में रखा जाय। किसानों को खुद चौराहे पर लाकर अपनी फसल की बोली लगाने का हक दिलाया जाय। किसानों को मंडी परिषद की रखैल नहीं बनाया जाय। मंडी परिषदें भ्रष्टाचार, शोषण और राजनीति के अखाड़े बन गयीं हैं।