बैंक जीवित होने का प्रमाणपत्र न दे पाने के कारण आ गयी भुखमरी की नौबत

हरीश मैखुरी

हमारे गांव निरंतर खाली हो रहे हैं। इसकी एक वजह मोटर सड़कों का अभाव है। जनपद पौड़ी गढ़वाल के अन्तर्गत रिखणीखाल प्रखंड मे बसा ग्राम रजबौ मल्ला निवासी अस्सी वर्षीय सेवानिवृत्त अध्यापक श्री दर्शन सिंह गुसाई पुत्र स्व. बचे सिंह गुसांई विगत आठ नौ महीने से जीवित प्रमाणपत्र न देने के कारण भुखमरी के कगार पर पहुंच गए है। इनका पेंशन का बचत खाता उत्तराखंड ग्रामीण बैंक कोटडीसैण में स्थित है लेकिन ये वृद्ध कोटडीसैण से ठीक नब्बे डिग्री की खड़ी चढाई पर पांच किलोमीटर दूर पहाडी में अपनी पत्नी के साथ रहते है। इनका इकलौता बेटा गढ़वाल राइफल्स में सूबेदार के पद पर उरी सेक्टर जम्मू-कश्मीर में अग्रिम चौकी पर देश की चौकसी मे तैनात है। ये वृद्ध घुटनों के दर्द से पीड़ित चलने-फिरने मे असमर्थ व असहाय हैं। अब रही बात यातायात की ये गांव सन् 2006 से सड़क की मांग कर रहा है। तथा सड़क का शिलान्यास समारोह भी हो गया है
लेकिन अभी तक सड़क के अभाव में गांव दम तोड़ रहा है
ऐसे ही समय गुजरता व कटता जा रहा है। ईस कारण ये जीवित प्रमाणपत्र नही दे सके। और पेंशन से वंचित है।इनकी पेंशन बन्द हो गई है। अब बुजुर्गकी उम्मीद है कि सोशल मीडिया के माध्यम से शासन-प्रशासन से अनुरोध है की इनकी पेंशन अविलंब चालू कर व जीवित प्रमाणपत्र जमा करने का उचित प्रबंध करें। अधिकतर लोग यातायात सुविधा अस्पताल शिक्षा संचार नेटवर्क न होने के कारण पलायन हो रहै है।सरकार कहती है हमने हर गाँव सड़क सै जोड दिया है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और वया करती है।जब इन वृद्ध से बातचीत की गयी तो वे भावुक हो गये और कहने लगे अगर सड़क होती तो ये दिन नही देखने पडते।इनकी बातों मे निराशा के भाव साफ झलक रहे थे। यह नौबत दूर दराज के गांव मेंं बचे कुचे रह गए लगभग सभी बुजुर्गों की है। और हम कह रहे पलायन रोको। (साभार सौजन्य – प्रभुपाल सिंह रावत, पौड़ी )