हर दिन लगभग पांच हज़ार बम 300 तोपों से दागे जाते थे

रमन ममगांई

कारगिल विजय दिवस 
भारतीय तोपखाने ने लगभग दो लाख पचास हज़ार बम दागे ,हर दिन लगभग पांच हज़ार बम 300 तोपों से दागे जाते थे
चौबीस घंटे लगातार हर मिनट
भारतीय गनर्स जिन्हे २४ घंटों में सिर्फ एक या दो घंटे की नींद ही मिल पाती थी
लगातार तैयार ,
भारी शेल्स को उठाना फायर करना फिर से तैयार होना
,हाथों में जख्म गहरे होते चले जाते लेकिन हिम्मत कम नहीं होती ,
दुश्मन लगातार शैलिंग कर रहा था ना जाने दुश्मन के गोले का कौन सा स्प्लिंटर जान ले ले स्प्लिंटर बम से निकला धातु का टुकड़ा होता है
घातक
शरीर के जिस भी हिस्से पे लगेगा वो कट के गिर जाएगा
लेकिन परवाह किसे थी
जवानों के बीच एक बात कही जाती है आपको स्प्लिंटर तभी लगेगा जब उस पर आपका नाम लिखा हो और मौत को जवानोंने एक मज़ाक बना दिया था
साबित कर दिया कि दुनिया के किसी देश के पास ऐसे जवान नहीं हैं ,जैसे हमारे जवान