गैरसैंण एक स्थान मात्र नहीं अपितु उत्तराखंड की आत्मा है, इसे राजधानी बनना ही है

डॉ हरीश मैखुरी

गैरसैंण एक स्थान मात्र नहीं अपितु उत्तराखंड की आत्मा है। गैरसैंण में उत्तराखंड का पहला बजट सत्र सतपाल महाराज के विशेष प्रयासों से मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के कार्यकाल में गैरसैंण विकास खंड कार्यालय भवन पर चला। यहीं गैरसैंण को राजधानी के रूप में विकसित करने की घोषणा भी हुई। उसके बाद मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में गैरसैंण विधानसभा के दो सत्र टैंटों में चले। हरीश रावत के कार्यकाल में न केवल गैरसैंण भराड़ीसैंण राजधानी भवन बनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया गया अपितु उन्होंने निर्धारित समय से पहले विधान भवन तैयार कर के राजनीतिक जिजीविषा का परिचय भी दिया। राजधानी के लिए निर्विवाद जगह भराड़ीसैंण के चयन में तत्कालीन कर्णप्रयाग विधायक डाॅ अनुसूया प्रसाद मैखुरी की विशेष भूमिका रही। अच्छी बात ये है कि वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की गैरसैंण बजट सत्र में की गई घोषणा के अनुरूप अब गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की अधिसूचना भी जारी हो गयी, और इस बीच वहां मिनी सचिवालय भी तैयार हो गया। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हम भराड़ीसैंण को भव्य रूप से विकसित करेंगे। जबकि हरीश रावत ने भी गैरसैंण के अपने अंतिम सत्र में हुई चूक को दुरूस्त करते हुए आगे सरकार में आने पर गैरसैंण को उत्तराखण्ड की स्थाई राजधानी बनाने की घोषणा भी कर दी। तीनों सरकारों के इन सभी प्रयासों से गैरसैंण को भविष्य में स्थाई राजधानी की दिशा में बढ़ रहे कदमों के रूप में देखा जा सकता है। देर सबेर तो गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनना ही है। तभी गैरसैंण को उत्तराखण्ड की स्थाई राजधानी बनाने के लिए दिया गया बाबा मोहन उत्तराखण्डी का बलिदान, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों व महिला संगठनों के सपने और उत्तराखंड राज्य के समग्र पारिस्थितिकीय विकास की परिकल्पना साकार होगी। उत्तराखंड सरकार को सभी गांवों में मोटर सड़क, विद्यामंदिर, स्वास्थ्य केन्द्र और चकबंदी कार्यक्रम ही तो बनाना है। यहां संभावनाओं की कमी बस इन्हीं सुविधाओं का अभाव है।