गौमाता के शरीर में 33 कोटि देवों और 14 भुवनों का वास

जगमोहन आजाद

श्रीनगर। प्रख्यात समाज सेवी मोहन काला ने कहा कि जब तक हम गौमाता के ममत्व  के मायनों को नहीं समझेंगे तब तक हम गौमाता के सम्मान के बारे में नहीं सोच पाएंगे। हम गौमूत्र और गोबर के मायने  समझते हैं, फिर भी गौमाता को सड़कों और जंगलों में छोड़ आते हैं। उक्त विचार समाजसेवी मोहन काला ने श्रीनगर में गौतीर्थाश्रम के तत्वावधान में आयोजित में व्यक्त किए।
मोहन काला ने इस मौके पर कहा कि पहाड़ तो हमेशा गौमाता की पूजा करने और गौमाता के सम्मान के लिए खड़ा रहा है। इसमें जरूरत इस बात की है कि हम गौमाता को सड़कों या जंगलों में छोड़ आने की कुरीतियों से भी खुद को दूर रखें।

इस अवसर पर श्रीनगर गौतीर्थाश्रम के अध्यक्ष श्री प्रेम बल्लभ नैथानी ने कहा कि हम गौमाता के कितने फ़ायदे हैं और हम क्यों गौमाता की पूजा करते हैं, गौमाता में कितने गुण हैं और गौमाता में कितने देवी-देवताओं वास करते है। इस पर तो हर दिन चर्चा करते हैं। लेकिन गौमाता को, दूध न देने पर सडकों और जंगलों में छोड़ आते हैं। आज हमें अपनी इस सोच को बदलना होगा। क्योंकि गाय हमारे लिए जीवन दायनी है तो पूजनीय भी है। हम गाय को मां कहते हैं, तो माँ को हम कैसे खुद से दूर कर सकते हैं।
इस मौके पर गौतीर्थाश्रम के ट्रस्टी महंत श्री भगत जी ने कहा गौमाता हमारे लिए जीवन का वास्तविक और सार्थक अर्थ है।

गौमाता के शरीर में 33 कोटि देवों और 14 भुवनों  का वास है। तो गौमाता के दूध में असंख्य गुण हैं। जो हमें जीवन का नया आधार देते हैं। गौमाता हमारे लिए सिर्फ पूजनीय ही नहीं बल्कि जीवन उत्थान की जननी भी है। ऐसे में हम माँ को कैसे खुद से दूर कर सकते हैं। मैं समझता हूं कि इससे बड़ा पाप और कुछ हो ही नहीं सकता। हमें इस पाप से बचना चाहिए।

इस अवसर बहिन आचार्य सुषमाजी, श्रीनगर नगर पालिका अध्यक्ष श्री विपिन चन्द्र मैठाणी, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष कृष्णा नंद मैठाणी, अभिनेता विमल चन्द्र बहुगुणा, किशोर भण्डारी, बलबीर नेगी, श्रीनगर क्षेत्र की मातृशक्ति एवं पत्रकार भी मौजूद थे। जिन्होंने कहा कि गौमाता को हमने राष्ट्रीय माता का सम्मान तो दिया है पर आज भी उसकी उपेक्षा हो रही है. बहुत सी गाए आज भी गाँवों और शहरों में भटक रही हैं और बेसहारा है। इन्हें किसी तरह बचाया जाए। इस पर सब को गंभीरता से सोचना होगा।