शराब की दुकान पर लड़कियां, इसमें स्त्री व पुरुष का भेद कैसा?

  
नवल खाली
दिनभर में यह तस्वीर काफी चर्चा का विषय बनी हुई है !! चर्चा ये कि लड़कियां पहाड़ में जोशीमठ  शराब की दुकान के बाहर शराब खरीद रही हैं !! इसपर हायतौबा मची हुई है कि पहाड़ की लड़कियाँ भी शराब पीने लगी हैं !!
किसी का कहना है कि नई पीढ़ी बर्बादी की कगार पर है तो किसी का कहना है कि देवभूमि भी दूषित हो गयी है !!
 
जबकि ये भी हो सकता है कि  सुदूरवर्ती गाँव की ये लड़कियां अपने बुजुर्ग दादा के लिए सर्दियों की ये रामबाण औषधि ले जा रही हों , हो सकता है उस गाँव के अधिकांश पुरुष बाहर प्रदेशों में नौकरी कर रहे हों !!
सर्दियों में कभी कबार पेट दर्द में भी ये ओषधि काम करती है !!
हो सकता है किसी के पेट मे पथरी हो और बियर ले रही हों !!!
 
हो सकता है देवता पूजाई व छल पूजाई के लिए किसी ने मंगाई हो !!!
 
हो सकता है कि इन लड़कियों के परिवार में कोई पुरुष घर पर मौजूद न हो और खेतों में हल लगाने वाले हल्या ने इनसे मंगा रखी हो !!!
और अंत मे ये भी हो सकता है कि दो हजार का नोट तुड़वाने ये शराब की दुकान पर गयी हों , क्योंकि पूरे बाजार में मंदी हो सकती है पर यहां नही !!!!!
 
किसी भी चीज को हम लोग देखकर एकतरफा सोचने लगते हैं , जबकि चीजें बहुआयामी भी हो सकती हैं !!
मैं तो इन लड़कियों की हिम्मत की दाद देता हूँ कि वो बेहिचक पुरुष प्रधान समाज में शराब की खरीदारी कर रही हैं !!!
यदि आपको इनका शराब खरीदना यूँ अखर रहा है तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार है, क्योंकि सरकार ने मान लिया है कि शराब के अतिरिक्त पहाड़ों में कुछ भी राजस्व का संसाधन नहीं है !!
अगर शराब को आप गलत मानते हो तो ये सभी के लिए गलत ही होनी चाहिए , इसमे स्त्री व पुरुष का भेद कैसा ?? जबकि शराब शब्द खुद स्त्रीलिंग है !!(साभार) 
शांति थपलियाल की एक प्रतिक्रिया भी – इन बालिकाओं के परिधान इस बात की तस्दीक नहीं कर रहे हैं।
 सेल्समैन इनका भाई या इनके गांव का हो सकता है जो घर के लिए कुछ दे रहा हो वो जरुरी नही कि शराब ही हो । हो सकता है कि वो घर के लिए दवाई भेज रहा हो पैसा भेज रहा हो ।
और वैसा भी हो सकता है जैसा प्रथम दृष्टिया दिख रहा।