जिन दिव्यांग जनों की सहायता सरकार नहीं कर पाती उनके लिए देवदूत बन रही गोकुल संस्था

*जिन दिव्यांग जनों की सहायता सरकार नहीं कर पाती उनके लिए देवदूत बन रही गोकुल संस्था*Gokul Sanstha is becoming an angel for the handicapped people whose government is unable to help

रिपोर्ट *✍️हरीश मैखुरी*

शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए कृत्रिम अंग प्रदान करने का कार्य गोकुल संस्था देहरादून के द्वारा किया गया। बता दें कि गोकुल संस्थअपना अपने ही संसाधनों से वर्ष 1995 से फिजिकली चैलेंज्ड लोगों के लिए काम कर रही है, फिजिकली चैलेंज्ड दिव्यांग जन न केवल सामाजिक दृष्टि से विशेष जरूरतों वाले लोग होते हैं बल्कि कभी-कभी उन्हें सामाजिक उपेक्षा का शिकार भी होना पड़ता है। ऐसे में गोकुल संस्था की सचिव मधु मैखुरी ने जो खुद भी शारीरिक रूप से विशेष आवश्यकता के लिए संघर्ष करती हैं, उन्होंने गोकुल संस्था के द्वारा शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को कृत्रिम अंगों के द्वारा सक्षम बनाने तथा उन्हें रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश प्रारंभ किया। सन 2000 से गोकुल संस्था निरंतर उत्तराखंड राज्य भर में जगह-जगह कैंप लगाकर शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए कृत्रिम अंग वितरण का काम कर रही है, अब गोकुल संस्था का अपने देहरादून (दिल्ली कॉलोनी) स्थित अपने कार्यालय से अधिकांशतः कृत्रिम अगं लगा रही है। इन अंगों के तैयार होने के बाद यहीं फिट भी किया जाता है। शारीरिक रूप से अक्षम लोगों की के लिए उनके उनके विशेष आवश्यकता के उपकरणों का भी संयोजन किया जाता है। गोकुल संस्था द्वारा प्रदान किए जाने वाले उपकरण ना केवल तकनीकी रूप से हल्के और जीवन को सामान्य बनाने में काफी हद तक सहायक हैं बल्कि उनके द्वारा प्रदान किए जाने वाले कृत्रिम अंगों से बहुत सारे लोगों ने अपनी जिंदगी बदल दी है। आज भी गोकुल संस्था के द्वारा रुद्रप्रयाग देहरादून आदि जनपदों अनेक  लोगों को कृत्रिम अंग वितरित किए गए तथा कुछ लोगों के कृत्रिम अंग तैयार करने के लिए उनकी नाप जोख की गई। गोकुल संस्था के अध्यक्ष मोहन जगूड़ी ने कहा कि गोकुल संस्था बहुत ईमानदारी के साथ दिव्यांग लोगों से भावात्मक रूप से जुड़ी है और उनकी मदद करना चाहती है। गोकुल संस्था के निदेशक विक्रम हांडा श्रीमती अंजू हांडा तथा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में पधारे एडवोकेट श्री एस. के. गुप्ता के विशेष सहयोग और योगदान से फिजिकली चैलेंज्ड लोगों की विशेष सहायता की गई। इस बार की सहायता Epsilon carbon private limited (इप्सिलोन कार्बन प्राइवेट लिमिटेड) कर्नाटका के द्वारा सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) के अंतर्गत विशेष आर्थिक सहयोग देकर की गयी जिसके अन्तर्गत पहाड़ी क्षेत्रों के 6 दिव्यांग जनों को उच्च तकनीक के कृतिम उपकरण भेंट किये गये। जनपद रुद्रप्रयाग से श्री संदीप श्री भरत सिंह, श्री शंकर लाल, मास्टर राघव गौर तथा देहरादून जनपद में चकराता के श्री लूदर सिंह टिहरी से श्री जीत राम उनियाल को उच्च तकनीक के कृत्रिम अंग प्रदान किए गए।
चकराता के लूदर सिंह कृत्रिम पांव लगने से बहुत उत्साहित दिखे उनका कहना है कि यह पांव बहुत सुविधाजनक है।

गोकुल संस्था की सचिव मधु मैखुरी ने कहा कि हम इस मिशन में तनमनधन से जुटे हैं यही हमारा धेय उद्देश्य और लक्ष्य है कि समाज में दिव्यांग जनों की उपेक्षा ना हो और वे अपने बूते एक व्यवसाय कर सकें सक्षम बनें। 

इप्सिलोन कार्बन प्राइवेट लिमिटेड कर्नाटका द्वारा उत्तराखंड के दिव्यांगजन के सशक्तिकरण हेतु हस्ताक्षरित अनुबंध के अनुरूप कृत्रिम अंग वितरण किए गए। गोकुल कंप्यूटर सेंटर देहरादून तथा रुद्रप्रयाग जनपद में गोकुल के सहयोग से भीरी में पोलियो ग्रस्त विनोद द्वारा कंप्यूटर सेंटर का संचालन किया जा रहा है। गोकुल संस्था की वर्ष 2000 से शुरू की गई यह यात्रा अभी तक 26 बड़े स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन कर चुकी है। इन स्वास्थ्य शिविरों में लाभार्थियों की संख्या 11709 है। जबकि उत्तराखंड में अभी तक कुल 31 जागरूकता शिविरों के माध्यम से लाभान्वित व्यक्तियों की संख्या 4656 है। वर्ष 2000 से गोकुल संस्था दिव्यांग लाभार्थियों के स्वरोजगार हेतु भी कार्य कर दिव्यांग लाभार्थियों को आत्मनिर्भर बना रही है। 

   आज आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एडवोकेट एस. के. गुप्ता, गोकुल संस्था की ओर से संस्था के अध्यक्ष श्री मोहन जगूड़ी, सचिव मधु मैखुरी, इंचार्ज भगवती रतूड़ी, संयोजक धीरज रावत, बिपिन रावत लाभार्थी श्री मनोहर सिंह रावत तथा लाभार्थियों के परिजन भी उपस्थित रहे। 
कुल मिलाकर गोकुल संस्था वह कार्य कर रही है जो सरकार का समाज कल्याण विभाग और जिला प्रशासन भी नहीं कर पा रहे हैं।