पाकिस्तान जैसे भेड़िये से अभिनन्दन वर्धमान को वापस लाते हैं, लेकिन देश में छिपे गद्दारों से कांस्टेबल रतन लाल को नहीं बचा पाते?

इस खेल को समझने की जरूरत है, ये लड़ाई pजमीन और वर्चुअल दोनों स्तर पर लड़ी जा रही है। दो महीने तक शाहीन बाग में बिरयानी छकने के बाद इन दिनों दिल्ली जलाई जा रही है। मौजपुरा में हेड पुलिस कांस्टेबल रतन लाल और को चरमपंथियों ने मार डाला, जबकि घायल डीएसपी अमित शर्मा के भी शहीद होने के समाचार हैं। जो राष्ट्र विरोधी चरमपंथी इसके लिए जिम्मेदार हैं, उनका महिमामंडन हो रहा है। जो इस हिंसा के ख़िलाफ़ हैं, उन्हें विलेन बना कर पेश किया जा रहा है। स्थिति यूँ आ चुकी है कि जो CAA विरोधी दंगाई हिंसा कर रहे हैं, स्वरा भास्कर और रवीश कुमार टाईप लोगों ने  एहसास और हौसला दिलाया कि दंगाइयों के कारनामें जायज हैं। और देश की सुरक्षा के लिए CAA, NRC या NRP जैसे कानून बनाना बड़ा अपराध हो गया।

नतीज़न दिल्ली की जनता आज गृह मंत्रालय से कातरता से कह रही है कि किसी तरह सबकुछ शांत करो। गीता और हनुमान की बात करने वाले मुख्यमंत्री बड़े प्यार से ट्वीट कर रहे हैं कि कृपया हिंसा न भड़काएँ। जब कोई हिन्दू चींटी मार दे तबतो तुरंत ‘भगवा आतंक’ की बात कर रामायण समझने लगते हैं न केजरीवाल? हत्यारों, दंगाइयों और उपद्रवियों के प्रति इतना प्यार? वहीं अगर जामिया और शाहीन बाग में तंग आकर किसी हिन्दू ने पिस्तौल लहरा दिया तो उसे पिछले 100 और अगले 100 वारदातों के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया जाएगा (भले ही एक AAPका कार्यकर्ता निकला)। कपिल मिश्रा ने दंगाइयों से निपटने के लिए दिल्ली पुलिस को अल्टीमेटम दिया। बस, वो हो गए जिम्मेदार। अब अगर अमेरिका में भी कहीं कोई हमला होगा तो वो कपिल मिश्रा की ही जिम्मेदारी होगी। अरे, दंगाइयों के ख़िलाफ़ बोला ही क्यों उन्होंने?

बरखा दत्त से लेकर विनोद कापड़ी तक जैसों ने दिल्ली की हिंसा के लिए कपिल मिश्रा को जिम्मेदार ठहरा दिया है। ठीक वैसे ही, जैसे इससे पहले हुई कई वारदातों के लिए अनुराग ठाकुर को जिम्मेदार ठहराया गया था। तो फिर उस मौलाना का क्या, जिसने कहा था कि मोदी-शाह को श्मसान में लाठी मार-मार कर जलाया जाएगा। उस मौलवी का क्या, जो कहता है कि 15 करोड़ मिल कर कत्लेआम मचा देंगे। उस वारिस पठान का क्या, जो इस्लामी जिहाद और हिन्दुघृणा का खुला प्रदर्शन करता है। उस ओवैसी के क्या, जो अपने मंच से ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारा लगवाता है। उस NDTV का क्या, जो उस नारे को ‘Long Live all countries’ बता कर Whitewash करता है। उन मीडिया वालों का क्या, जो रोज-रोज इन आतंकियों का बचाव कर के उनका मन बढ़ा रहे हैं, उन्हें उकसा रहे हैं। इन सबके बाप भी ठाकुर-मिश्रा भी हैं क्या?

जो लोग लगातार भाजपा को कमजोर करने के लिए उपक्रम कर रहे हैं वे ही हर नकारात्मक और विपरीत परिस्थितियों के जिम्मेदार भी भाजपा को साबित कर पर लगे हैं। मोदी सबकुछ नहीं करेगा। महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली में भाजपा का मनोबल टूटा है। जब पार्टी अपनी विचारधारा पर कायम रह कर एक के बाद एक निर्णय ले रही है, तब हुई हार का क्या ये अंदाज नहीं लगाया जा सकता है कि जनता को ये सब चाहिए ही नहीं? जिस मोदी-शाह का रोज़ मनोबल तोड़ते हो, उन्हें किस बात के लिए दोष दे रहे हो। कल को अगर राजधानी जल कर खाक भी हो जाए तो मोदी-शाह की रत्ती भर भी ग़लती नहीं होगी। क्या समझे? ये लड़ाई दिल्ली वालों ने लगाई है, चालाकी के चक्कर में। एक मोहल्ले में दो दुश्मनों को कमान देना बुद्धिमानी नहीं है। कल को कोई भी शिकार बन सकता है, आप भी, मैं भी।

ट्रम्प भारत आए हुए हैं। ऐसे में देश के 0.45% भू-भाग पर ऐसा तमाशा कर के इंटरनेशनल मीडिया को यूँ दिखाया जा रहा है जैसे पूरा देश जल रहा हो। अब नैरेटिव का खेल है। वो चाहते हैं कि उनकी महिलाओं की पिटाई हो, उनके एकाध बच्चे मारे जाएँ। इससे उन्हें फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि वो और पैदा कर लेंगे। लेकिन, इससे विदेशी निवेश पर फर्क पड़ेगा, नकारात्मक माहौल बनेगा और पुलिसिया बर्बरता का रोना चालू हो जाएगा। एक मजबूत गृहमंत्री भी आज फँसा हुआ नजर आ रहा है क्योंकि जनता ने उसे लाचार बना दिया है।

हलात ये कि मोदी पाकिस्तान जैसे भेड़िये के जबड़े से अभिनन्दन वर्धमान को वतन वापस ले आते हैं लेकिन देश में छिपे गद्दार भेड़ियों से अपने कांस्टेबल रतन लाल को नहीं बचा पाते। इसी लिए अब कठोर एक्शन लिया भी जा सकता है।ऐसे में सरकार के ख़िलाफ़ अब नकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश होती है इस मुद्दे पर अपने सारे घोड़े तैयार रखिए। फेसबुक ट्विटर, वटसैप और इंस्टाग्राम पर सक्रियता बढ़ाइए। सारे लिबरलों जवाब दीजिए, विचारधारा की लड़ाई में आप जीतेंगे तो सरकार बाकी का काम कर देगी। गंदी नाली के कीड़ों को धोइए क्योंकि यही वे हैं जो खून-खराबा के लिए उकसा रहे हैं