जीएसटी की रफ्तार से राजस्व में हुआ इजाफा

उत्तराखण्ड में जीएसटी लागू होने के बाद चार माह के कारोबार में पहली बार ऐसा लग रहा है कि राज्य के राजस्व का ग्राफ ऊपर चढ़ रहा है। अक्टूबर माह के कारोबार में एसजीएसटी (स्टेट जीएसटी) के रूप में प्रदेश को 306.87 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। जो कि बीते तीन माह में सबसे अधिक है और इस अवधि में जो आइजीएसटी (इंटीग्रेटेड जीएसटी) ऋणात्मक (माइनस) में चल रहा था, वह भी अक्टूबर माह के कारोबार में 28 करोड़ रुपये प्लस में है।

जुलाई से सितंबर माह तक राज्य का राजस्व कभी भी 300 करोड़ रुपये के आंकड़े को नहीं छू पाया था और इन तीन माह में आइजीएसटी सेटलमेंट ऋणात्मक में ही रहा। उस समय लग रहा था कि राजस्व की पूर्ति के लिए प्रदेश को केंद्रीय क्षतिपूर्ति पर ही निर्भर रहना पड़ सकता है। जबकि, अक्टूबर माह के कारोबार में राजस्व का ग्राफ तेजी से ऊपर चढ़ने के बाद उम्मीद जगी है कि राजस्व सुधार की दर इसी तरह बढ़ती रही तो केंद्र की क्षतिपूर्ति की जरूरत नहीं पड़ेगी।

जुलाई, अगस्त व सितंबर के राजस्व की तुलना पिछले साल के वैट से प्राप्त राजस्व (पेट्रोलियम व शराब को हटाकर) से करें तो फासला काफी अधिक नजर आता है। यह अंतर अक्टूबर माह के राजस्व में भी है, लेकिन अंतर काफी कम हो गया है। जो भी माल किसी दूसरे प्रदेश में बेचा जाता है उस पर आइजीएसटी लगता है। इस तरह माल की खपत जिस प्रदेश में होती है, वह कर उस राज्य में चला जाता है और 50-50 फीसद की हिस्सेदारी में केंद्र व राज्य के मध्य बंट जाता है। उत्तराखंड से बाहर गए माल व यहां खपत किए गए माल के राजस्व के आपस में बंटवारे को ही आइजीएसटी सेटेलमेंट कहा जाता है।