आगे-आगे ‘हरीश’, पीछे-पीछे ‘प्रीतम’

दीपक फर्स्वांण

आगे-आगे ‘हरीश’, पीछे-पीछे ‘प्रीतम’ …

कांग्रेस संगठन से इतर चल रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यक्रमों से समूची प्रदेश कांग्रेस असहज स्थिति में है। प्रीतम खेमा कहता है कि हरीश रावत प्रदेश संगठन के समानान्तर अपने कार्यक्रम आयोजित रहे हैं जबकि वास्तविकता यह है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी समय पर अपनी रणनीति नहीं बना पा रही है जिससे हरीश हर बार पहले बाजी मार जाते हैं। लंबे समय से देखा जा रहा है कि प्रीतम और उनकी टीम अपने कार्यक्रम बनाने के बजाय हरीश रावत को फॉलो कर रही है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एक साथ कदमताल करते हुये अक्सर कम ही नजर आते हैं। पार्टी में एका होने के चाहे ये दोनों लाख दावे करें पर इनके खुद के कार्यक्रम अलग-अलग ही होते हैं। हरीश पिछले दो दिनों में देहरादून में सक्रिय रहे। उन्होंने राजधानी दून में अपनी मौजूदगी को जाया नहीं किया। सोमवार को दोपहर वह आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के आन्दोलन को समर्थन देने धरनास्थल पहुंचे और फिर सीएए के विरोध में धरना दे रहे लोगों के साथ भी उन्होंने वक्त बिताया। देर रात वह सीधे मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत से मिलने उनके आवास में पहुंचे गये। मुख्यमंत्री से उन्होंने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की मांगों को पूरा करने का आग्रह किया। हरीश की सक्रियता को देखकर टीम प्रीतम में हलचल मच गई। आनन-फानन में प्रीतम के वहीं के कार्यक्रम तय किये गये जहां हरीश अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके थे। मंगलवार को प्रीतम की अगुवाई में उनकी टीम पहले मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची, जहां उन्होंने पांच बिन्दुओं की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया और फिर वे सीएएम के विरोध-प्रदर्शन में शामिल हुये। खास बात यह है कि प्रीतम पिछले कुछ दिनों से देहरादून में ही मौजूद थे और फुरसत में भी थे। फिर भी उन्होंने न तो राजीव भवन के निकट धरनास्थल पर बैठे प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की और न ही वह मुख्यमंत्री से मिले। हरीश कुछ घण्टों के लिये देहरादून आये और बाजी मार ले गये। लोगों में आम धारणा सी बन रही है कि टीम प्रीतम अक्सर हरीश को ही फॉलो कर रही है। एक पहलू यह भी है कि क्या प्रीतम के कार्यक्रमों की सूचना हरीश खेमे में लीक की जा रही जिसका लाभ बड़ी चालाकी से हरीश उठा ले जाते हैं।