हरीश रावत की काफल पालिटिक्स

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के तेवर और राजनीतिक अंदाज बरकरार है आज अपने  चिर परिचित अपने  कार्यालय राजपुर रोड़, देहरादून में उत्तराखण्ड की परम्परा व संस्कृति को जोड़ते हुए काफल पार्टी का आयोजन किया। जिसमें पत्रकार बन्धु, समाजसेवा से जुड़े लोग व कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के साथ काफल व चाट का आनन्द लिया। उन्होंने इस अवसर पर बोलते हुए कहा काफल फल ही नहीं है यह हमारी संस्कृति, परम्परा व बेटी के अपने मायके से रिश्ते का प्रतिक है। उन्होंने कुछ पत्रकारों के इसके राजनैतिक निहर्ताथ के सवाल पर कहा कि मैं तो यह चाहता हॅू कि इस परम्परा से जुड़े और इस परम्परा को आगे भी बढ़ायें।

उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि मेरी इस काफल पार्टी में बढ़चड़ कर सिरकत की, मुझे विश्वास है कि उनके द्वारा पर्वतीय क्षेत्र की विकास जो योजनाऐं, गांव के विकास का जो ऐंजडा मैंने बनाया था, मेरा मडुवा, कोदो, झंगोरा फोकस में रहेगा व मेरा उत्तराखण्ड व गैरसैंण का एजेंडा मजबूत होगा। हर गांव का विकास सरकार का केन्द्र बिन्दु बनेगा। पर्वतीय क्षेत्र का दुर्गम विकट जीवन को राहत पहुंचाने वाला उनका रोड़ मैप से कोई हटा नहीं पायेगा। वहीं पार्टी हाई कमान हरीश रावत की सक्रियता से खासे नाराज हैं और वे इसे पैरलर राजनीति के रुप में देख रहे हैं।

विधानसभा सत्र के दौरान हरीश रावत ने गैरसैंण स्थाई मुद्दे पर सरकार को घेर लिया था अब फाफल के बहाने चर्चा गरम कर दी। मगर समझा जा रहा है कि पार्टी हाईकमान इसे प्रीतमसिंह के पैरलल एक्टिविटी मान रहा है। ऐसी स्थिति में यह सक्रियता रावत के लिए भारी भी पड़ सकती है।

इस अवसर पर महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव अनुपमा रावत, पूर्व मुख्यमंत्री के मुख्य प्रवक्ता, सुरेन्द्र कुमार, कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी, प्रवक्ता आर0पी0 रतूड़ी, गरिमा दसौनी, संजय भट्ट, शोभा राम, स्टेट यूनियन नेता रवि पचैरी,   प्रदेश सचिव, कमल रावत, कमल शर्मा, साधना तिवारी कई समाज सेवी एवं कांग्रेस नेता आदि उपस्थित थे।