बैंकों की हत्यारी ब्याज दरों पर हाईकोर्ट सख्त

नैनीताल उत्तराखंड में बैंक कर्ज के बोझ तले दबे किसानों की आत्महत्या मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक को तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता के मुताबिक बैंकों की कृषि ऋण की ब्याज दरें इतनी अधिक हैं कि किसान ऋण चुकाने के लिए साहूकारों से अधिक ब्याज दरों पर लोन ले रहे हैं। जबकि सरकार फसल का भुगतान दस-दस माह तक नहीं करती है। सरकार ने ऊधमसिंह नगर जिले से खरीदे गए धान की करीब 75 करोड़ रकम का दस माह बाद भी किसानों को भुगतान नहीं किया गया है।

याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया है कि 75 करोड़ का बैंक ब्याज पांच करोड़ हो चुका है, यह किसकी जेब में जा रहा है।याचिका में यह भी कहा गया है कि 2007 में पॉपुलर का रेट 1050 रुपये कुंतल था जो अब घटकर 350 रुपये हो गया है, जबकि बाजार दरें तीन गुना बढ़ गई हैं। इसका लाभ किसान के बजाय सरकार को हो रहा है। किसानों के समय पर किश्त नहीं देने की वजह से बैंक उन्हें नोटिस थमा रहे हैं, परिणामस्वरूप किसान आत्महत्या कर रहे हैं।

उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि अब तक प्रदेश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को राज्य में लागू नहीं किया गया है।याचिकाकर्ता ने पीएम फसल बीमा योजना लागू करने की मांग करते हुए कहा कि दो प्रतिशत खरीफ, डेढ़ प्रतिशत रबी और अन्य व्यावसायिक फसलों पर पांच प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण दिया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने मामले को सुनने के बाद केंद्र सरकार, राज्य सरकार और आरबीआइ से जवाब दाखिल करने को कहा है।