ऐतिहासिक निर्णय : सुप्रीम कोर्ट ने श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर राजपरिवार को सौंपा, सरकारी मनसूबों पर फिरा पानी

आज की सबसे बड़ी और ऐतिहासिक समाचार सुप्रीम कोर्ट से हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आज तिरुवनंतपुरम के श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन और देखरेख की जिम्मेदारी पूरी तरह से त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार को सौंप दी। इस मंदिर का निर्माण इसी शाही परिवार द्वारा कराया गया था। त्रावणकोर के शाही परिवार के सदस्यों की ओर से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया।
राजनीति में नेता इधर उधर होते रहते हैं। राष्ट्रवादी विचार से जुड़े लोग इसलिए हमेशा व्यक्ति वंदना दूर रहते हैं। उनके लिये व्यक्ति से विचार हमेशा बड़ा होता है। आज सुप्रीम कोर्ट ने श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर को पुनः राजपरिवार को सौप कर जाने-अनजाने ही सही सनातनी परंपरा को बनाये रखा है। दरसल मंदिरों पर कब्जा करके सरकारें अपनी कुटिल राजनीति मंदिरों में भी प्रस्थापित करना चाहती हैं। मंदिर हमेशा सरकारी नियंत्रण से मुक्त होने चाहिए। आज के समय मे सरकारों का हमारी परम्पराओ में इतना अधिक हस्तक्षेप हो गया है कि वह अखड़ा प्रमुखों से लेकर शंकराचार्यों की नियुक्ति अपने पसंद की करने का मन रखती हैं। जहाँ -जहाँ मठों-मंदिरों में सरकारों का हस्तक्षेप है वहाँ वह मठ- मन्दिर प्रशासन को डरा धमका करके धार्मिक परंपराओं तथा मान्यताओं को अपने मनमाफिक ढंग से चलाना चाहती हैं। जो सरकारें रोटी कपडे और मकान तक का इंतजाम करने में असफल हैं वह मंदिरों की दशा सुधारने का दम भरती हैं तो समझा जा सकता है कि सरकारों की मंशा वास्तव में क्या करने की होती है, जिन मस्जिदों से सरकार को फूटी कौड़ी नहीं मिलता सरकारें उनके इमामों को तनख्वाह देती है। और इधर मंदिरों की संपत्ति पर न केवल नजर गढा़ये रहती हैं अपितु उनपर अपना मनमाानी भी थोपती हैं। इसलिए ऐसे फैसलों का हमेशा स्वागत किया जाना चाहिए। यह आज का सबसे सुखद समाचार और एतिहासिक फैसला है। साथ में दिए गए चित्र का वर्णन शब्दों में सम्भव नहीं किया जा सकता है। केरल के श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर प्रशासन में शाही परिवार सुप्रीम कोर्ट के अनुकूल फैसले को सुनने के बाद त्रावणकोर के राजकुमार आदित्य वर्मा थाम्पुरन ने खुशी से अपनी मां को गले लगा लिया,माँ की भी आंखे भर आईं, सुप्रीम कोर्ट ने वहां वामपंथी सरकार के नियंत्रण से मंदिर को मुक्त कर शाही परिवार के पक्ष मेंं निर्णय दिया। धर्म की जय हो 🙏🙏🚩🚩(साभार)

ये चाहते तो अपना धन स्विस बैंकों में जमा करवा, आराम का जीवन जी सकते थे। लेकिन ये राजपरिवार के लोग हैं, वैदिक क्षत्रियों के वंशज। अतुलित बल-वैभव-धन-सम्पन्न होते हुए भी धर्म के अंकुश को मानने वाले।

चित्र में दिखाई दे रहे त्रावणकोर के राजपरिवार के सदस्य, जो आज सुप्रीम कोर्ट में जीत गए। वही परिवार, जिनके पूर्वज राजा मार्तंड वर्मा ने केरल के पद्मनाभ स्वामी मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था और 1947 तक त्रावणकोर पर उनके ही वंशजों ने शासन किया था। उसके बाद भी इस मंदिर के रख रखाव पर इस परिवार का ही नियंत्रण था। आज यदि कोई 5 वर्ष के लिए जोड़तोड़ से जीतता है तो भी “फलानी जाति के लोकतांत्रिक जनप्रतिनिधि” की ढाल लेकर, समृद्धि की गंगा जमना का प्रवाह अपने घर की तरफ मोड़ लेता है, वामपंथी प्रोफेसर मुफ्त की रोटी और बोटी चबाते हैं, सलाह के नाम पर देश के खजाने को चूना लगाने वाली फर्जी मंडली विराजमान है, ऐसे में कल्पना कीजिए कि कैसे कोई अकूत सम्पदा को ईश्वर के नाम कर, कितना संयम से रहता होगा जबकि सारे अधिकार उनके पास थे।

जैसा कि सेक्यूलर बुद्धि की कुत्सित मानसिकता होती है, षड्यंत्र के अंतर्गत, केरल हाईकोर्ट ने 2011 में पद्मनाभ मंदिर की सभी सम्पत्तियों और प्रबंधन पर राज्य सरकार को नियंत्रण में लेने का आदेश दिया था। इस आदेश को त्रावणकोर के राजपरिवार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। आज सुप्रीम कोर्ट ने #पद्मनाभस्वामी_मंदिर के प्रबंधन का अधिकार पुनः इस राजा मार्तण्ड वर्मा परिवार को दे दिया। इस हेतु इन्हें बहुत यातनाएं और मानसिक प्रताड़नाएं सहनी पड़ीं।
“त्वदीयं वस्तु गोविंदम्, तुभ्यमेव समर्पये” और
“येन केन हिन्दू पर कब्जा गिरोह” के बीच के इस युद्ध में जब जगत्स्वामी ने इन्हें विजय दिलवाई, ये अपने आंसू रोक नहीं सके!!😭😭😭

भगवान ने फिर से इन्हें अपना माध्यम बनाया। पीढ़ियों से इस मंदिर और कोष की सुरक्षा की है उन्होंने। ये जानते हैं कि “अपना धन” जैसा कुछ नहीं होता। जनता का, जनता के लिए, समाज की समष्टि में व्यक्ति की व्यष्टि का विलय करना चाहिए, इसी भाव से शुद्ध हृदय से सींचा है उन्होंने। इसपर अधिकार तो उनका ही बनता है।

पद्मनाभ स्वामी मंदिर की कुल ज्ञात सम्पत्ति दो लाख करोड़ की है, जबकि अज्ञात का केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है। सारे ईसाई, कसाई, वामी, सेक्यूलर गिरोह की लार टपक रही है। ऐसे न जाने कितने ही खजाने स्वतंत्रता के बाद फर्जी #खानदान के पेट में हजम हो चुके हैं। मंदिरों की ऐसी सम्पत्तियों पर हिन्दू विरोधियों की सदैव से कुदृष्टि है।

मंदिरों को सरकार के नियंत्रण से मुक्त करवाना भारत के बहुसंख्यक हिंदुओं की हार्दिक इच्छा भी है। ऐसे में पद्मनाभ स्वामी मंदिर के प्रबंधन का अधिकार सरकार से हटकर राजपरिवार के ट्रस्ट को मिलना वर्तमान वातावरण में #सत्य_की_विजय जैसा है। उनके लिए तो ये शुभ दिवस है ही, हमारे लिए भी है। सम्पत्तियों पर अधिकार को लेकर निर्णय अभी नही आया है। आशा करता हूँ कि वो भी इनके पक्ष में ही आये।
(@Nikesh Pratap Deo से प्राप्त जानकारी)
-चारु मित्र पाठक