चारधाम सड़क परियोजना की चौड़ाई यथावत रखने की आश बढ़ी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का ड्रीम प्रोजेक्ट चार धाम सड़क परियोजनायें पुनः जीवित होती दिख रही है, 8 सितंबर 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने कुछ तथाकथित पर्यावरणविदों की राय पर यहां बनने वाली सड़क की चौड़ाई(कटिंग) 7 मीटर के बजाए 5-5 मीटर तय की थी, जिस पर पूरा उत्तराखंड आंदोलित हो गया था, और प्रदेश सरकार से निवेदन किया था, कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जाय कि चीन-नेपाल सीमा से लगे इस क्षेत्र में धार्मिक स्थलों तक पँहुचने के अलावा भी भारतीय सेना को आधुनिकतम हथियार, टैंक, मिसाइल सीमा पर पंहुचाने के लिए अच्छी चौड़ी सड़क व पक्की सड़क होनी चाहिए, और इसके डामर की चौड़ाई कम से कम 7 मीटर रखी जानी चाहिए, जनता ने यह भी कहा कि सड़कों को चौड़ा किये जाने का कार्य लगभग औसतन 70% पूर्ण हो गया है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर पुनर्विचार याचिका दायर की जानी चाहिए, और जनता का यह भी आरोप था, कि अफसरों व ठेकेदारों के गठजोड़ के कारण सामरिक महत्व के बारे में सुप्रीम कोर्ट को जानबूझकर अवगत नहीं करवाया गया है, हांलाकि प्रदेश सरकार ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली।
अब मोदी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने का बीड़ा रक्षा मंत्रालय ने उठाया है, रक्षा मंत्रालय द्वारा सुप्रीम कोर्ट में 2 दिसम्बर, बुधवार को पुनर्विचार याचिका दायर की गयी है, और इसके साथ प्रस्तुत शपथ पत्र में कहा गया है कि ऋषिकेश-माणा रोड पर सड़कें 215 किलोमीटर चौड़ी कर दी गयी है, इसी प्रकार ऋषिकेश-गंगोत्री मार्ग पर 119 किलोमीटर सड़क व टनकपुर-पिथौरागढ़ सड़क 127 किलोमीटर चौड़ी कर दी गयी है, ऐसे में अब केवल कठिन चट्टानों को काटा जाना शेष है, चूंकि ये तीनों सड़कें चीन व नेपाल सीमा तक जाती हैं ऐसे में सामरिक महत्व को देखते हुए सैनिकों व अस्त्र शस्त्र सीमा तक पंहुचाने के लिए सड़कें 7 मीटर(डामर) चौड़ी होनी ही चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के तीन विद्वान न्यायाधीशों ने इस याचिका पर पूर्व में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नामित उच्चस्तरीय समिति से पूरे प्रकरण पर दो सप्ताह में जांच आख्या मांगी है, वहीं दूसरी ओर उच्चस्तरीय समिति के सदस्यों का कहना है, कि उनके सम्मुख सामरिक महत्व का प्रश्न रखा ही नहीं गया था।
अब उम्मीद की जा रही है कि उच्चस्तरीय समिति भी इन 3 सड़कों को 7 मीटर चौड़ा करने के लिए सहमति देगी, वरना मोदी जी का यह ड्रीम प्रोजेक्ट राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारियों, प्रदेश के नौकरशाहों व ठेकेदारों के गठजोड़ के चलते सपना ही रह जाएगा।
धन्य है रक्षा मंत्रालय, धन्य है चीफ ऑफ डिफेंस जनरल विपिन रावत व धन्य हैं नरेंद्र मोदी जिन्होंने उत्तराखंड पर पूरी नजर व पूरी निगरानी रखी है।
हरीश पुजारी
संयोजक बहुगुणा विचार मंच
गढ़वाल-कुमाऊँ
9412110015

 वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश पुजारी ने एक अपरिहार्य और सटीक विश्लेषण प्रस्तुत किया है, वास्तव में चारधाम यात्रा मार्ग पर न्यायालय का स्थगन आदेश देश के सामरिक और सामाजिक सांस्कृतिक महत्व पर भारी पड़ रहा है करीब 70 %कटिंग का कार्य पूरा होने और करीब 12 हजार करोड़ खर्च होने के बाद माननीय न्यायालय की रोक से उत्तराखंड को असहनीय दर्द हुआ है। सामरिक महत्व की इस सड़क की बदहाली से देश की सुरक्षा भी खतरे में है। वकील प्रशांत भूषण के एक रू जुर्माना पर पुनर्विचार संभव है तो 18 हजार करोड़ रु की चारधाम राष्ट्रीय महत्व जन आकांक्षाओं की सड़क परियोजना पर पुुनर्विचार क्यों नहीं? इस परियोजना पर जो रोक लगी हुई है उससे अबतक देश को न केवल करोड़ों रू का नुकसान हुआ अपितु समय से कार्य पूर्ण न होने से सरकार की प्रतिष्ठा को भी बट्टा लगा और जन साधारण, श्रद्धालुओं की सुन्दर सुरक्षित मोटर सड़क की आकांक्षा समाप्त हुई है। सामरिक महत्व की चारधाम परियोजना 70% कटिंग के बाद चंद लोगों की वजह से आधी-अधूरी ही बदरंग होकर स्थगित पड़ी है, सभी जान लेवा चट्टानी हिस्सों की कटिंग छूटी हुई है इससे दुर्घटना का खतरा तो सदा सर्वदा के लिए होगा ही, बड़े साजोसामान की आवाजाही भी नहीं हो सकती है। जो देश हित में नहीं है। इसलिये माननीय न्यायालय को राष्ट्रीय महत्व और वृहद जनहित में इस रोड़ के स्थगन आदेश पर पुनर्विचार अवश्य करना चाहिए। यही नहीं इस सड़क की चौड़ाई मूल प्रोजेक्ट के हिसाब से 12 मीटर यथावत रखने के आदेश भी देने चाहिए। और इस सड़क के दोनों ओर दस दस मीटर तक आम पंया बड़ पीपल नीम जामुन और उपरी इलाकों में थुनेर और भोज के पेड़ लगाने और उनकी दस साल तक ग्रोथ सुरक्षा का आदेश भी पारित करना चाहिए। इससे सड़़क एवं पर्यावरण सुरक्षा दोनों संभव हो जायेगा।–हरीश मैखुरी 

चारधाम सड़क परियोजना निर्माण का अर्थ है कि उत्तराखंड के उज्जवल भविष्य और भविष्य की पीढ़ियों के लिए सौगात का इतिहास रचा जा रहा है।