पाताल भुवनेश्वर किमतोली मोटर मार्ग की आस कब तक रहेगी अधूरी?

*??पाताल भुवनेश्वर किमतोली मोटर मार्ग की आस कब तक रहेगी अधूरी* *??मोटर मार्ग बन जानें से रामगंगा के दर्शनों की हसरत आसानी से होगी पूरी* * *??कैलाश मानसरोवर की यात्रा पथ के प्रसंग में आता है पाताल भुवनेश्वर का विराट वर्णन* *??गुमनामी के साये में गुम तीर्थों स्थलों के विकास की बाते साबित हुई है, कोरी* घोषणा साबित हो रही है पाताल भुवनेश्वर ( पिथौरागढ़ ) / *?जनपद पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट क्षेत्र में स्थित विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर गुफा के आसपास गुमनामी के साये में गुम पड़े तीर्थ स्थलों को प्रकाश में लानें व क्षेत्र के गांवों को मोटर मार्ग से जोड़ने की क्षेत्रवासियों की लम्बें अर्से से चली आ रही मांग ना जानें कब पूरी होगी यह तो आने वाला समय ही बताऐगा* यदि यहां के बदहाल व गुमनाम तीर्थ स्थलों का विकास किया जाएं तो समूचा क्षेत्र तीर्थाटन का विशेष केन्द्र बन सकता है। *?उल्लेखनीय है, कि कैलाश मानसरोवर यात्रा पथ में श्री पाताल भुवनेश्वर गुफा का सुंदर वर्णन आता है। तथा इसके आसपास के अनेकों पौराणिक महत्व के तीर्थ स्थलों का जिक्र भी स्कंद पुराण में महर्षि वेद व्यास जी ने किया है। जिनमें उधाणेश्वर महादेव, हाटकेश्वर महादेव, कोटेश्वर महादेव, लमकेश्वर महादेव, भृगुतम्ब पर्वत, मर्णकेश्वर महादेव, सहित अनेकों स्थल है, इन सभी का आध्यात्मिक महत्व बड़ा ही विराट है*। पाताल भुवनेश्वर को नमन करते हुए कल कल धुन में बहती रामगंगा के तटवर्ती क्षेत्र आजादी के लम्बित वर्षों बाद भी मोटर मार्ग से वंचित है। *?मंदिर कमेटी के अध्यक्ष नीलम भंडारी ने बताया कि यदि पाताल भुवनेश्वर को रामगंगा के निकटवर्ती गांव किमतोली तक मोटर मार्ग से जोड़ा जाए तो आसपास के ग्रामीणों को तो लाभ मिलेगा ही इसके अलावा रामगंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में स्थित पौराणिक महत्व वाले तीर्थ स्थानों से जनमानस को रुबरु होने का अवसर प्राप्त होगा*। उन्होनें कहा कि पाताल भुवनेश्वर किमतोली मोटर मार्ग की मांग काफी लम्बे समय से चली आ रही है। लेकिन इस ओर आज तक सुध नहीं ली गयी, जबकि रामगंगा नदी किमतोली के पास से होकर बहती है। यदि यहां तक यातायात सुविधा सुलभ हो जाए तो श्रद्वालुओं को *?पाताल भुवनेश्वर के दर्शन के पश्चात रामगंगा नदी में स्नान करने का अवसर प्राप्त होगा। पाताल भुवनेश्वर के दर्शन के पश्चात् रामगंगा नदी में स्नान का महत्व परम सौभाग्यदायक माना गया है। मानसरोवर यात्रा पथ में भी इस बात का उल्लेख है। मानसरोवर यात्रा का प्रसंग विभिन्न पुराणों का वर्णनीय विषय रहा है। मानस क्षेत्र के नाम से विभिन्न पर्वत श्रेणियों को पार कर यह यात्रा पूरी की जाती है जिससे पवित्र पहाड़ों की विशालता तथा सांस्कृतिक महत्ता का ज्ञान होता है*
‘ततो नागपुरो नाम पर्वतो नृपसत्तम।
यत्र सम्पूज्यते नागा वासुकि प्रमुखादयः।।
ततो दारूगिरिः पुण्यः पूज्यते नात्र संशयः।
यत्र सम्पूज्यते देवः पाताल भुवनेश्वरः।।
*कैलाश मानसरोवर यात्रा पथ में अनेक पर्वतों की महिमा के साथ-साथ ‘दारूगिरी’ पर्वत का वर्णन भी आता है। दारूगिरी पर्वत में स्थित अतुलनीय महिमा को समेटे हुए पाताल भुवनेश्वर का उल्लेख यात्रा की रोमांचकता में चार-चांद लगा देती है। दारूगिरी पर्वत के अलावा अनेक पर्वतो के विषय में लोक गाथायें भी मानसरोवर यात्रा पथ को लेकर प्रचलित हैं। ये पर्वत हैं- नागपुर, दारूगिरी, पावन, पंचशिखर, केतुमान, मल्लिकार्जुन, गणनाथ, टुन्टुकर, चन्द्रमा, देवतट, मालिका, काकपर्वत, जलाशय पर्वत, स्कन्दगिरी, त्रिपुर, गौरीपर्वत, नागगिरी, काकगिरी आदि।
तमाम यात्रा पथों में पाताल भुवनेश्वर का बड़ा ही अलौकिक महत्व है। ‘पाताल भुजंगा’ से ही मानस खण्ड का आरंभ है। *?हिमालय के चरित्र के वर्णन में भगवान दत्तात्रेय ने कहा है कि पाताल भुवनेश्वर की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना के पश्चात तीन दिन तक उपवास रखकर जब मानसरोवर की यात्रा आरंभ की जाती है तो वह पर फलदायी होती है*
गत्वा सम्पूज्य लोकेशं जम्बुकास्य महेश्वरम्।
// रमाकान्त पन्त ///