बैकों की मनमानी से ग्राहकों की बढ़ती परेशानी

     अनेक बैकों द्वारा न्यूनतम बैलेंस पर ग्राहक का पैंसा काटने का मुद्दा सरकार के लिए गले की फांस बना रहा, निजी क्षेत्र के बैंकों की मनमानी और ग्राहकों से मनमाने तरीके से वसूली के किस्से आए दिन मीडिया में रहते हैं। पिछले दिनों पीएमसी बैंक से ग्राहकों  से पैंसा लेनदेन का मामला संसद तक भी पहुंचा। इसी तरह के मामले उत्तराखंड में भी अखबारों की सुर्खियां बन रहे हैं।

       हरिद्वार के अशोक पांडे ने डीएचएफएल बैंक से लोन लिया उनका कहना है कि “बैंक उंची दरों पर उनसे ब्याज वसूलता है जबकि आरबीआई ने इस मध्य  ब्याज दर कम कर इस सम्बन्ध में निर्देश दिए हैं, उन्होंने कहा कि हमारा रानीपुर हरिद्वार डीएचएफएल से होम लोन है तथा आरबीआई के गाइड लाइन के बाद भी अब तक बैंक ने रेट ऑफ इंटरेस्ट कम नहीं किया, जिससे हमारे जैसे ग्राहक खासे परेशान हैं, सम्बन्धित जिम्मेदार अधिकारी भी मिलीभगत के चलते इस मामले में सुनते नहीं हैं जिससे ग्राहकों को दर-दर भटकना पड़़ रहा है”। इस इस संदर्भ में बात करने पर बैंक के अधिकारी ने अपना नाम नहीं बताए जाने की शर्त पर कहा कि कोई भी बैंक  घाटे पर क्यों लोन देगा, बैंक घाटा क्यों उठाना चाहेगा, लेकिन बढ़ी हुई ब्याज दरों के बारे में बैंक अधिकारी ने कहा कि हमारा बैंक आरबीआई की गाइडलाइन के हिसाब से ही काम कर रहे हैं यदि इस बीच पुराने लोन पर ब्याज दर के विषय में कोई नई गाइडलाइन प्राप्त होगी तो ही उसके अनुसार ब्याज दर सुनिश्चित की जा सकती है। 

     खबरों के अनुसार बैंक ने उत्तर प्रदेश में अखिलेश सरकार की विदाई काल में नीजी सम्बन्धों के चलते कर्मचारियों का पीएफ का पैंसा उधार लेकर कुंडली मार ली, अपना पीएफ का पैंसा डूबता देख इन कर्मचारियों में भय व निराशा के कारण सरकार को भी सोचने पर विवश होना पड़ा, पिछली सरकार की गलती का खामियाजा योगी आदित्यनाथ सरकार ने भरा और पीएफ का पाई पाई लौटाने के लिए आश्वस्त किया, तब जा कर कर्मचारियों की जान में जान आयी। ऐसी ही देनदारियों के पैंसा लौटाने में टाल मटोल के मद्देनजर आरबीआई ने बैंक को ब्लैक लिस्ट कर दिया।

      बैंकों द्वारा दिए गए मनमाने लोन भी एनपीए होने के चलते पैंसा डूबनेे का खतरा बना रहता है।