नहीं है ज्योतिष का पूरा ज्ञान, तो क्यों चलाते हैं इसके विरूद्ध अभियान?

हरीश मैखुरी
       आज जब नासा स्पेस एजेंसी भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कालगणना को अधिक सटीक मान रही है, नासा के वैज्ञानिक भारत आकर काल गणना व गृह नक्षत्रों की वास्तविक स्थिति के लिए संस्कृत व ज्योतिष पढ़ रहे हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि बाबा रामदेव ज्योतिष और इसके जानकारों के विरुद्ध अभियान चला रहे हैं। बाबा मात्र रामदेव अपने मतलब का अर्ध सत्य बोलने का प्रयास करते हैं। भारतीय सनातन धर्म  शास्त्र एवं संस्कृति कितनी वैज्ञानिक हैं इसका भी प्रमाण ऋग्वेद की एक ऋचा में है जिस का हिंदी अनुवाद इस तरह है कि “जो विज्ञान सम्मत नहीं है वह शास्त्र नहीं है, जो शास्त्र नहीं है वह धर्म नहीं है, जो धर्म नहीं है वह आचरणीय नहीं है। यही बात गीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि जो भूतों (भूत प्रेत मड़ुले मजार आदि ) को पूजता है भूतों को प्राप्त होता है, और मेरा भक्त मुझे प्राप्त होता है। इसलिए आत्म कल्याण के लिए मांम् भज, मांम् एकम् शरणम् आगच्छ।। अर्थात केवल जीवनाधार भगवान का स्मरण चिंतन मनन् करो। ज्योतिष के पक्ष विपक्ष में पर बोलने से पहले ज्योतिष का अध्ययन आवश्यक है। जैसे किसी को जब तक गुरुमुखी नहीं आती तो महान गुरु परंपरा के ज्ञान शबद से परिचित कैसे होगा? जिसको संस्कृत नहीं आती है वह वेद कैसे जानेगा? शास्त्रों को कैसे समझेगा? जैसे आचार्य बालकृष्ण आयुर्वेद के अच्छे ज्ञाता हैं पर अंग्रेजी और ऐरोनाटिक्स के भी हों जरूरी नहीं। ठीक वैसे ही अंक ज्योतिष, काल गणना ज्योतिष, गृह नक्षत्र ज्योतिष, वास्तुक ज्योतिष, शरीर ज्योतिष, फलित ज्योतिष आदि ज्योतिष एक बहुत बड़ा क्षेत्र है। भृगु संहिता में वैज्ञानिक रूप से ज्योतिष शास्त्र पर आख्यान हैं। ज्योतिष वेदांग है ज्योतिष को वेद का नेत्र कहा गया है, वह परा विज्ञान है। ज्योतिष शास्त्र “जातक” प्रारब्ध का की आंकना का विज्ञान है। खासकर फलित ज्योतिष की व्याख्या करने वाला तो भगवान विष्णु व महालक्ष्मी का सात्विक संयमी नियमित मोह रहित साधक व्यक्ति होना चाहिए, तभी सटीक प्रिडिक्शन होगा यही फलित ज्योतिष की वैदिक विधि है। नहीं तो जैसे आज तमाम तामसिक लोग ज्योतिष को डराने धमकाने भय दिखाने के लिए उपयोग करके अपनी दुकानें चलाते हैं, तो यही होगा। जब ज्योतिष शास्त्र बाबा रामदेव जानते ही नहीं,तो ज्योतिष शास्त्र बाबा रामदेव का क्षेत्र हो कैसे सकता? इसलिए ज्योतिष को नकारना भी वेद विज्ञान को नकारना व सनातन परंपरा के विरुद्ध एक तरह का अभियान है। गेरुआ चोला पहन कर मात्र कमियां गिनाने से ही धर्म का कार्य और धर्म रक्षा नहीं हो जाती, वस्तुतः धर्म तो निरंतर सत्य की साधना है, नवदा भक्ति है, असीम अनंत अखंड अगोचर अव्यक्त चिरंतन का अराधन है। माना आप आर्य समाजी हैं, कर्म काण्ड और मूर्ति पूजा का विरोध भी इस आधार पर करते हैं। पर ये तो देखें कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना किन परिस्थितियों में की? तब अलग विकृतियां थी आज तो आसुरी चुनौतियां हैं। इसलिए गत 4 करोड़ वर्षों की सनातन संस्कृति में कुछ परम्पराओं की प्रासंगिकता समय समय पर कम ज्यादा हो सकती है, लेकिन समूल नकारने की गलती अक्षम्य है। ठीक है पूजा के नाम पर मूर्तियों को घी तेल गुड़ फल आदि से विद्रुप करना किसी की आस्था अनास्था का विषय हो सकता है। लेकिन समाज में आयी किसी भी विकृति के लिए किसी एक व्यक्ति, जाति या समूह को दोषी ठहराना कहां तक उचित होगा? गत चार करोड़ वर्षों में सनातन सभ्यता में कब किसकी वजह से क्या खामी आयी या अच्छाई जुड़ी यह गहन शोध का विषय है न कि अनर्गल कोसने का। समाज सुधार करना है तो सभी पथों के सभी पक्षों में सुधार होना चाहिए कि नहीं? कि उदेश्य केवल भारतीय संस्कृति के मूल तत्व ब्राह्मणों को कोसने तक सीमित है? भारत में आज सैक्यूलरिज्म व समाज सुधार का टेंडर सिर्फ हिंदुओं का रह गया है। दुखद है कि ईसाई लोग तमाम प्रपंच और ठगी करके निरंतर हिंदुओं का धर्मांतरण कर रहे हैं, इस पर भगवा धारण करने के बावजूद बाबा रामदेव मौन हैं। इस्लामिक बुराइयों जैसे कुर्बानी खतना सुन्नत तीन तलाक चार शादियां 20- 20 बच्चे जमीन व जनसंख्या जिहाद व इस्लामीकरण कुर्बानी पशु हत्या जैसी सामाजिक बुराईयों पर बाबा बोलने से बचते हैं, जबकि वे तमाम साजिशें करके न केवल धर्मांतरण करते हैं बल्कि लव जिहाद और निरपराधों हत्याओं से निरंतर काफिरों को खत्म करने की दिशा में काम कर रहे हैं, आतंकवाद के खिलाफ मुहिम तेज करने की दिशा में भी बाबा चुप हैं। जान बूझकर सनातन धर्म में अपने हिसाब की कमियां गिना कर अपने हित साधने का कार्य तो रामपाल भी कर रहा है और आश्चर्यजनक रूप से रामपाल की दुकान में भी हिन्दू ही फंसाये जा रहे हैं, उसकी कबीर पंथी बनाने की दुकान चल रही है। कबीर ने सभी पंथो की बुराईयों पर प्रहार किया, परन्तु देखने वाली बात ये है कि कितने मुस्लिम और इसाई रामपाल  ने कबीर पंथी बनाये? या सिर्फ सनातन धर्म के लोगों के कनवर्जन का ऐजेन्डा चलाना है?
   सुखद है कि बाबा रामदेव स्वदेशी आन्दोलन की दिशा में व्यवहारिक कार्य कर रहे हैं। साथ ही सनातन धर्म की बहुत सारी गौरवशाली विधाओं और परंपराओं को भी आगे बढ़ा रहे हैं, लेकिन ज्योतिष के बारे में रामदेव का ज्ञान अधूरा है उस पर बोलने से रामदेव को बचना चाहिए।
..हरीश मैखुरी 28-06-2019