ISRO ने कहा- मिशन 95% सफल, ऑर्बिटर 1 साल तक करेगा काम

हरीश मैखुरी

11 साल तक इसरो वैज्ञानिकों की कठोर मेहनत व तपस्या के बावजूद  3 लाख चौरासी हजार किलोमीटर दूर चांद से संपर्क टूटने का मतलब ये नहीं कि लैंडर-विक्रम और रोवर-प्रज्ञान क्षतिग्रस्त हो चुके,  इस बात की संभावना भी है कि वह चन्द्रमा की सतह पर सुरक्षित या थोड़ी-बहुत क्षति के साथ उतर चुका हो और उससे पुनः संपर्क स्थापित हो जाए। नहीं भी हो तो भी चिंतित होने की बात नहीं अपितु यह प्रयास और प्रयोग है जो नये संकल्प की पहल में मददगार बनेगा। रूस, अमेरिका और चीन भी अनेक बार प्रयास करने के बाद चांद तक पंहुचे। एल्वाएडिशन ने 100 बार कोशिश की तब जाकर दुनियां का पहला बल्ब बन पाया था। 

जिस ऑर्बिटर से लैंडर-विक्रम अलग हुआ है वह अभी चन्द्रमा की सतह से 65 से 70 किमी की दूरी पर अपनी कक्षा में लैंडर-विक्रम और रोवर-प्रज्ञान के साथ संपर्क न हो होने स्थिति में भी 1 साल तक सतत नियमित नियंत्रित घूमता रहेगा और ऑर्बिटर में लगे हुए यन्त्र चन्द्रमा की सतह की तसवीरें लेते रहेंगे, नक्शा तैयार करेंगे और वहां पर खनिज, बर्फ, पानी आदि की मौजूदगी की संभावनाओं पर सूचनाएं एकत्रित करके इसरो में नियंत्रण कक्ष को भेजते रहेंगे। संभावनाओं के द्वार कभी बंद नहीं होते।

इसरो चीफ श्री  के. सीवन की आँखों से निकलते आंसू उनकी 11 साल की तपस्या का अंत नही है। हम फिर कामयाब होंगे हमेें आप एवं आपकी टीम पर गर्व है। सच्चे भारतीय आपके साथ हैं। मोदी ने बैंगलुरू पंहुच कर जिस तरह गार्जियन की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वैज्ञानिकों की हौसला आफजाई के लिए रात भर उत्साहित और प्रोत्साहन दिया वह ऐतिहासिक है। एक सुखद खबर है कि मिशन मंगल की सारी कमाई अक्षय कुमार चंद्रयान 3 को देंगे। https://www.facebook.com/DDNews/videos/509559679868178/