गौ माता के बैगर संसार की कल्पना करना भी मूर्खता

संसार में गो माता ने चार रूपों में इस धरा पर जन्म लिया। इसमें कामधेनू, सुरभी, नलनी गिरीशी। गिरीशी गाय गिर नाम से जानी जाने लगी। इस प्रजाति की गाय हिंदुस्तान में केवल गुजरात में ब्राजिल में पाई जाती हैं। जहां इनके अलावा 272 अन्य प्रजातियों की गायों की नस्लें पाई जाती हैं। यह बात अंतरराष्ट्रीय संत श्रीमहंत सिद्व पीठ बाबा जहरगिरी आश्रम के पीठाधीश्वर डाॅ. अशोक गिरि महाराज ने कही। गुरुवार को सिद्व पीठ बाबा जहरगिरी आश्रम में गुजरात के नासिक से पहली बार गिर गाय के आगमन पर आश्रम प्रांगण में गाय माता का स्वागत किया। उन्होंने तिलक लगाकर फूलमालाओं से गाय माता का अभिषेक किया।

गिर गाय एक दिन में 25 से तीस किलो दूध देती है और यह दूध बहुत ही गुणकारी है। इसके दूध बनने वाला घी 3 हजार रुपए किलों के हिसाब से बिकता है। जोकि कैंसर जैसी बिमारी के लिए रामबाण औषधी का काम करता है। इसका गौ मूत्र 25 से तीस रुपए प्रति लीटर बिकता है जिसकी गुजरात में पूर्ण मांग है। उन्होंने बताया कि उनके नासिक आश्रम में 1525 गाय है। उन्होंने भिवानी आश्रम में अभी छह गाय और एक नंदी मंगवाया है। इस अवसर पर भगवान गिरि, भूपगिरि, कैलाश गिरि, सिधेश्वर गिरी, दशरथ गिरि, विजय गिरि, शक्ति गिरि, लोटा गिरि, धीरज शास्त्री अन्य श्रद्धालु मौजूद थे।

गिरगाय के मूत्र पर वैज्ञानिकों ने शोध किया कि जहां असाध्य बिमारियों में देसी गाय का मूत्र छह माह में काम करता है। वहीं गिर गाय का मूत्र मात्र छह से छब्बीस दिनों में अपना असर दिखाता है। उन्होने बताया कि मंत्र सिद्धी से हम देवताओं से मनचाहा वरदान प्राप्त कर सकते लेकिन गाय माता के बैगर संसार की कल्पना करना भी मूर्खता है।