कश्मीर में 370 एवं 35ए के हटने के बाद एक माह से ज्यादा समय हो गया, वहां पहली बार आम नागरिकों पर न आतंकवादी हमला कर सके न एक गोली चली, अलगाववादी पड़े अलग थलग

हरीश मैखुरी

कश्मीर में 370 और 35ए के हटने के बाद एक माह से ज्यादा समय हो गया लेकिन वहां शांति बनी हुई है। पहली बार आम नागरिकों पर न आतंकवादी हमला कर सके, न एक गोली चली न आतंकवादी और अलगाववादियों का असर दिखा। अधिकांश जगहों स्कूल कालेज सामान्य रूप से खुल गये हैं। दुकानें और व्यवसाय सामान्य रूप से और निर्भीकता से चलने लगे हैं। लोग आतंकवादियों को छोड़कर के अलगाववादियों से भी दूरी बनाने लगे हैं। इसका का प्रभाव केवल भारत ही नहीं पूरे साउथ एशिया पर पड़ने वाला है।  कश्मीर के अलगाववादी नेता व तीनों परिवार यदि हस्तक्षेप ना करें तो कश्मीर की जनता अभी भी खुशहाल हो सकती है। आतंकवद सप्रभावित क्षेत्रों में भी सब धर्मों का समन्वय हो सकता है, सब मिलकर के चल सकते हैं। क्योंकि वहां भारतीय ऋषि मुनियों की तपस्थली है एवं सहनशीलता के प्रमाण भी हैं, लेकिन पाकिस्तान  ने इस साल 250 बार सीज फायर तोड़ा और पाक हमलों में सीमावर्ती इलाकों में 21 आम भारतीय मारे गए। इसके लिए हमारी सेनाओं की ओर से सर्जिकल स्ट्राईक और एयर स्ट्राईक में बालाकोट के साथ ही पाकिस्तान को सैकड़ों बार तत्काल करारा जवाब भी दिया गया। वहीं कश्मीर के कुछ राजनीतिज्ञों ने कश्मीर की सभ्यता को नष्ट करने के लिए कसर नहीं छोड़ी, उनके लिए कश्मीर में अलगाव वाद धन कमाने का  साधन है। इसलिए अभी समय है ऐसे तत्वों को पूरी तरह से अलग थलग करने का। इसके लिए कश्मीर के औद्योगिकीकरण के साथ ही देश कश्मीर में देश भर से इच्छुक लोगों को वहां बसने के लिए प्रेरित करना होगा और 1990 कश्मीर से मजहबी उन्मादियों द्वारा भगाए गये कश्मीरी पंडिताें की पुन: बसासत प्राथमिकता से करनी चाहिए।