वर्तमान परिदृश्य में महाभारत का एक प्रसंग बहुत प्रासंगिक है।
हुआ ये की महाभारत युद्ध के समय भीम का पुत्र घटोत्कच युद्ध में लाया जाता है और कौरवो की सेना में भयंकर मार काट मचा देता है। हैरान परेशान कौरवो ने कर्ण को बुलाया लेकिन घटोत्कच कर्ण के भी काबू में नही आ रहा था तब कर्ण ने अपने एक विशेष अस्त्र का प्रयोग कर घटोत्कच को मार दिया।
उस रात कौरवो के शिविर में बस एक इंसान दुखी था वो कर्ण था और बाकि लोग जश्न मना रहे थे।
वंही पांडवों के शिविर में सब मातम मना रहे थे बस एक व्यक्ति मुस्करा रहा था वो श्रीकृष्ण जी थे।
ऐसा इसलिए कि घटोत्कच को मारने के लिए कर्ण ने जिस अस्त्र का प्रयोग किया वो उसने अर्जुन को मारने के लिए लिया था। लेकिन अब अर्जुन नही मारा जा सकता था यही वजह सोचकर कर्ण दुखी था और इसी वजह से श्रीकृष्ण मुस्कुरा रहे थे।
कभी कभी जो कमजोर और हारता हुआ दिखता है वो ताकतवर हो रहा होता है और जो ताकतवर दिखता है वो कमजोर हो रहा होता है लेकिन हम वो देख नही पाते हैं।
आज कंगना ने उद्धव ठाकरे को “तू” कह कर बोला जो इससे पहले महाराष्ट्र में संभव नही था बावजूद इसके उद्धव सेना ये चुपचाप सुन रही है, एक शब्द नही निकल रहा उस सेना के सैनिकों के मुंह से जो खुद को शेर समझते थे।
ये समझने के लिए इससे बड़ा प्रमाण किसी को क्या चाहिए कि आज कौन जीता है और कौन हारा है ?
कंगना के घर की दीवारें व काँच तोड़े गये है लेकिन कंगना ने तो ठाकरे परिवार का अस्तित्व ही सड़क पर ला दिया।
बाकी ये मोदी हो या ट्रंप इस दुनिया में जब एक व्यक्ति को ताकतवर लोग टार्गेट करने लगे तो जनता हमेशा उस अकेले के समर्थन में ख़ामोशी से खड़ी हो जाती है। कंगना को कुछ लाख रूपये का ही नुकसान हुआ होगा लेकिन आज वो घर घर में चर्चा का विषय बन गयी।
लोग उसकी खून पसीने की कमाई से बने घर को इस तरह सरकार के तोड़ते देखकर पसंद नही करने वाले, क्योकि संस्कारों वाले देश मे आम इंसान की संस्कृति इससे खुद को जोडकर देखती है। जब कांग्रेस ने मोदी जी को चाय वाला बोला तो उन्होंने सोचा की लोग मोदी को कमजोर समझ नकार देंगे लेकिन हुआ इसका उल्टा।
यहाँ भी जनता कंगना में अपने संघर्षो को देखेगी।
उसको बोले गये हरामखोर शब्द में खुद का हुआ अपमान खोजेगी।
उसकी सफलता में अपने अपने भविष्य के सपने को देखेगी और उसके टूटते घर में अपने टूटते घर को देख दुखी होगी।
इन परिस्थितियों में भी उसकी अकड़ कर खड़े रहने में खुद की छवि खोजेगी।
ये परिस्थिति हमेशा आम इंसान को ख़ास बना देती है। ऐसा ही हुआ था जिसके कारण मोदी इतने बड़े नेता बन पाए। ऐसा ही हुआ जब अन्ना हजारे इतने बड़े व्यवस्था बदलाव के वाहक बन गये। ऐसा ही किसी भी इंसान या कलाकार की लोकप्रियता के साथ होता है।
बिलकुल हैरान मत होइएगा की जल्दी ही कंगना राज्यसभा सांसद बन जाए क्योकि जो हिम्मत उन्होंने आज दिखाई है वो तो किसी मुंबई या बॉलीवुड वालों ने कभी नही दिखाई।
वो हिमालय की घाटी से निकली नदियों की तरह बड़े से बड़े पहाड़ को रौंद दे तो हैरानी ना होगी।
मराठी संस्कृति में स्त्रियों का सम्मान हमेशा रहा चाहे वो माता जीजाबाई हो ताराबाई हो,अहिल्याबाई हो, राजमाता सिंधिया हो।
आप को छत्रपति शिवाजी को समझना है तो पहले जीजाबाई को समझिए।
आप को मालवा के इलाके में संस्कृति को समझना हो अहिल्याबाई को समझिए।
मध्य प्रदेश में भाजपा का उदय देखना हो तो राजमाता को जानिए।
1857 की क्रांति समझनी हो तो लक्ष्मीबाई को समझिए।
ऐसे में आश्चर्य ना होगा जब शिवसेना का आधार मराठी मानुष ही उद्वव सेना को बाबर सेना ना घोषित कर दे। मराठा जैसी नारी स्वाभिमान संस्कृति वाले किसी नारी को हरामखोर बोलने वालों के साथ कभी खड़े नहीं हो सकते हैं।
आज कँगना बॉलीवुड की सबसे ताकतवर हस्ती बन गयी। जिस बॉलीवुड में कभी लीड रोल किसी महिला को सोच कर नही दिया जाता है उसमें आज एक महिला लीडर बन कर उभर रही है।
ये देखकर इतिहास का एक प्रसंग याद कीजिये…
जब रानी लक्ष्मीबाई के बारे में एक अंग्रेज बोलता है कि “#वो_उस_दौर_के_मर्दो_में_इकलौती_मर्द_थी।”
उसी तरह आज कँगना इकलौती नायक बन गयी है।
Via
Dr kuldeep Azad
#KangnaRanaut