कोरोना आपदा में स्थानीय लोगों की मदद को पत्रकार भी आये आगे

हरीश मैखुरी 
तुलसी, पंछी के पिए घटे न सरिता नीर, धर्म किए धन ना घटे जो सहाय रघुबीर।। हरिद्वार के निवासी ‘कुंभ नगरी द्वार’ के संपादक अशोक पांडे तथा सहयोगियों द्वारा 100 परिवारों को 10-10 किलो राशन तथा शब्जी सामग्री प्रदान की गई, ये लोग लाॅकडाउन में जरूरतमंद लोगों को सहयोग दे कर स्वयं को आनंदित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि इससे दानदाताओं को प्रेरणा मिलेगी।
        उत्तराखंड के साथ ही देश में ऐसे पत्रकारों की संख्या हजारों में है जो तमाम कोरोना रिस्क के बावजूद फील्ड में रिपोर्टिंग कर रहे हैं अपने स्तर से जरूरतमंद लोगों को खुद भी सहायता दे रहे हैं, दिला रहे हैं और अपने दान का प्रचार भी नहीं कर रहे हैं। हम लोगों ने भी किया इस लाॅकडाउन में अपने निकट के कुछ गरीब परिचितों की मदद की, भोजन सहयोग किया। यह एक तरह से आत्म संतुष्ट देने वाला कार्य है। कुछ पत्रकार बीमारों को दवाई, अस्पताल पहुंचाने और रक्तदान संबंधी मदद भी कर रहे हैं। जबकि कुछ पत्रकार जगह-जगह फंसे हुए लोगों को वाहन की व्यवस्था करा रहे हैं। ऐसे बिना दिखावा किए लोगों की मदद करने वालों की संख्या करोड़ों में है। 
       इस मेडिकल आपदा में जहां देश के कतिपय स्थानों पालघर में दो साधुओं और उनके ड्राइवर की  हत्या की अप्रिय घटनाएं हुईं हैं, अनेक स्थानों पर पुलिस और मेडिकल टीम पर हमले की खबरें आ रही हैं, कुछ लोगों द्वारा शब्जियों में थूकने व कुल्ला करके डालने और पेशाब करने की अप्रिय खबरें आई हैं। लेकिन इन सबकी परवाह किए बिना देश भर में दानदाताओं और अच्छे लोगों ने अपनी तिजोरी खोली हैं, जिससे जितना बन पड़ रहा है वह उतना कर रहे हैं, भारी संख्या में लोग सीधे पीएम केयर फंड में पैसा दे रहे हैं, कुछ लोग राज्य सरकारों को दान दे रहे हैं, तो कुछ लोग सीधे अपने अगल-बगल के जरूरतमंदों की सेवा कर रहे हैं। कुछ अन्न धन देकर सेवा कर रहे हैं और कुछ लोग लंगर चला कर भोजन सेवा दे रहे हैं। यह केवल भारतीय परंपरा भारतीय संस्कृति भारतवर्ष में ही संभव है।