देहरादून से पढ़े ज्योतिरादित्य सिंधिया की बीजेपी में नयी पारी

देहरादून से पढ़े ज्योतिरादित्य सिंधिया की बीजेपी में नयी पारी  की शुरुआत बड़े जोश के साथ हुुुई। ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी 1971 को बॉम्बे में हुआ था. ज्योतिरादित्य की पढ़ाई कैंपियन स्कूल और दून स्कूल, देहरादून में संपन्न हुई थी. इसके बाद उन्होंने कैंपियन स्कूल और दून स्कूल, देहरादून में अध्ययन किया. वर्ष 1993 में हार्वर्ड कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की, और इसके बाद 2001 में उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से M.B.A.की डिग्री ली थी.

ज्योतिरादित्य सिंधिया एक राजघराने में पैदा हुए थे. उनके दादा जीवाजी राव सिंधिया थे जो कि ग्वालियर रियासत के अंतिम महाराजा थे. ज्योतिरादित्य सिंधिया की माता जी माधवी राजे सिंधिया (किरण राज्य लक्ष्मी देवी) नेपाल राजवंश से सम्बन्ध रखतीं थीं.

ज्योतिरादित्य सिंधिया का राजनीतिक करियर

30 सितंबर 2001 को, उत्तर प्रदेश में एक हवाई जहाज दुर्घटना में उनके पिता, सांसद माधवराव सिंधिया की मृत्यु के कारण गुना निर्वाचन क्षेत्र खाली हो गया था. इसके बाद उन्होंने औपचारिक रूप से कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की और गुना से 2002 में लोकसभा संसद चुने गये उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, भारतीय जनता पार्टी के देश राज सिंह यादव को लगभग 450,000 मतों के अंतर से हराया था. इसके बाद वे 2004 में 14 वीं लोक सभा के लिए चुने गये थे.

2002: वित्त मामलों की समिति और विदेश मामलों की समिति के सदस्य बने

2008: संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के राज्य मंत्री बने

2009: 15वीं लोकसभा के लिए फिर से निर्वाचित हुए

2009: केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री बने

2012: केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री बने

लोकसभा सांसद: 2002 से 2019 तक कुल 4 बार संसद सदस्य रहे.

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया, बीजेपी के कृष्ण पाल सिंह यादव से गुना क्षेत्र से चुनाव हार गये थे. इसके बाद से उनके और कांग्रेस पार्टी के बीच रिश्ते खटास भरे हो गये थे. अंततः 9 मार्च 2020 को उन्होंने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया है. 11 मार्च 2020 को उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली है. उनकी यह राजनीतिक पारी किस तरह की होगी इसके लिए हमें आगे इंतजार करना होगा। समझा जाता है कि ज ज्योतिरादित्य सिंधिया भारतीय राजनीति की भावी दशा और दिशा मापने के बाद ही भारतीय जनता पार्टी में जाने के लिए उद्धत हुए।