केदारनाथ आपदाः चार साल बाद भी हरे हैं जख्म

 

हरीश मैखुरी

आज केदारनाथ त्रासदी को 4 चार साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन आपदा पीड़ितों के जख्म आज भी हरे हैं। उत्तराखण्ड में 16 जून 2013 को आई आपदा ने पूरे प्रदेश को तहस-नहस करके रख दिया था इस त्रासदी में हजारों जानें गई और कई लोग लापता हो गए थे, जिनको आज तक नहीं खोजा जा सका है। 16 व 17 जून को केदारनाथ आपदा के बाद सरकार ने लापता हुए लोगों की खोज शुरू की थी। देश के विभिन्न प्रदेशों के लोग आज भी अपनो को खोजने के लिए केदारघाटी के चक्कर काटते रहते हैं। लेकिन अभी तक कुल मात्र 653 नर कंकाल को ही खोजा जा सका है, यह भी पिछले चार वर्षो में। आज भी नरकंकाल मिलने का सिलसिला बना हुआ है। जो सरकार की सर्च अभियान की पोल भी खोलता है।

उत्तराखण्ड में आई इस त्रासदी में सबसे ज्यादा नुकसान जनपद केदारनाथ में हुआ। केदारघाटी के ऊखीमठ ब्लाक स्थित देवलीभणी ग्राम में आज भी आपदा पीड़ितों की आंखों में आंसू हैं। यह वही गांव है, जहां सर्वाधिक 54 लोगों को त्रासदी लील गई थी। 33 महिलाओं ने अपना सुहाग खो दिया था और कई मांओं की गोद सूनी हो गई थी। लेकिन, इन चार सालों में जिम्मेदारों का ध्यान सिर्फ यात्रा को व्यवस्थित करने पर ही रहा। नतीजा, आपदा पीड़ित चार साल बाद भी कुछ संस्थाओं के रहमोकरम पर जीने को मजबूर हैं।

उधर चमोली जिले में 15-16 जून 2013 की रात्रि को गोविंदघाट लामबगड़ विरही और मैठाणा में कुल मिलाकर 200 कारें बह गई थी एक हेलीकॉप्टर और जेपी कंपनी का जेसीबी बह गया था और पंजाब नेपाल और स्थानीय लोग अतिवृष्टि भूस्खलन और 300 लोग बाढ़ की चपेट में आकर कालकलवित हो गए थे। आपदा को चार साल पूरे होने पर स्थिति क्या है। आपदा के नाम पर चमोली में आपदा के नाम पर चमोली में केंद्र सरकार से प्राप्त अरबों रुपया अब तक सड़कों की मरम्मत दीवारों की सुरक्षा पुलों की मरम्मत और सड़क प्रबंधन के नाम पर खर्च हो गया है लेकिन आपदा के 4 साल बीतने के बावजूद स्थिति में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है आलम यह है कि बद्रीनाथ रोड पर बीरही में खाना लामबगड़ जैसे जगह पर भूस्खलन जारी है बरसात आते ही यहां सड़क बैठने लगती है और घंटों जाम लगना आम बात है।  वहीं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि इसी को देखते हुए सरकार उत्तराखंड में चारों धाम के लिए अब ऑल वेदर रोड बना रही है।

केदारनाथ आपदा पर एक नजर
केदारनाथ आपदा में 40 हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए थे।
4700 लोग हुए थे लापता
653 के मिले नर कंकाल
110 गांव हुए थे केदारनाथ आपदा में प्रभावित