किशोर उपाध्याय हरीश रावत की पैरवी कर रहे हैं या खेल कुछ और है ¦

 
दीपक फर्स्वाण
किशोर ‘पैरवी’ कर रहे हैं या खेल रहे हैं ‘दांव’…
 पिथौरागढ़ सीट के उपचुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को कांग्रेस अपना प्रत्याशी बना सकती है। कहा जा रहा है कि हरीश के नाम की जो पहल हुई है वो प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने की है। उन्होंने ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी को सुझाव दिया है कि कांग्रेस ने यदि हरीश को लड़ाया तो इस दांव से भाजपा मात खा सकती है।
   किशोर के बारे में आमराय है कि वे सोचमझकर ही कोई कदम उठाते हैं। पिथौरागढ़ सीट के उपचुनाव के लिए उन्होंने हरीश रावत का नाम आगे बढ़ाकर सबको चौंका दिया है। हरीश को चुनाव लड़ाने का सुझाव न सिर्फ उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी को दिया है बल्कि अपने फेसबुक वॉल पर भी उन्होंने इस सम्बंध में पोस्ट डाली है। इस सम्बंध में पूछने पर किशोर उपाध्याय ने पंजाब केसरी/नवोदय टाइम्स संवाददाता से कहा कि ‘हरीश ने 8 बार अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा है। जब भी वे जीते तो उन्होंने इस क्षेत्र के लिए विकास के कई काम किये। इसी लोकसभा सीट के निवासी प्रदीप टम्टा और महेन्द्र माहरा को राज्य सभा का सदस्य बनाने में हरीश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन सांसदों ने भी क्षेत्र के लिये कुछ न कुछ तो किया ही होगा। इसके अलावा हरीश ढाई साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे तो उन्होंने पिथौरागढ़ के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी। मेरा यह मानना है कि हरीश ने जब पिथौरागढ़ के लिए इतना कुछ किया है तो अब समय आ गया है कि जनता हरीश को अपना स्नेह और समर्थन दे। मेरा तो यह मानना है कि सीबीआई की ओर से मुकदमा दर्ज होने के बाद प्रदेश के लोगों की हरीश के प्रति सिम्पैथी बढ़ी है। ऐसे में हरीश अब उत्तराखण्ड से कोई भी चुनाव लड़ें तो उनकी जीत तय है’। किशोर चाहे हरीश के तारीफ में कितने भी कसीदे गढ़ें सच्चाई यह भी है कि किशोर और हरीश के रिश्तों में पिछले विधानसभा चुनाव में उस वक्त कड़वाहट आ गई थी जब किशोर प्रदेश अध्यक्ष होने के बावजूद अपनी मन की सीट से खुद की टिकट फाइनल नहीं कर पाये थे। मन मारकर उन्हें सहसपुर सीट से चुनाव लड़ना पड़ा था। चुनाव में हार के बाद किशोर ने सोशल मीडिया पर स्वीकार किया था कि कांग्रेस के एक बड़े नेता के दबाव में उन्हें सहसपुर से चुनव लड़ना पड़ा। उनका इशारा हरीश की ओर था। अब किशोर हरीश को चुनाव लड़ाने की पैरवी कर रहे हैं तो इसके कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।    
‘”उपचुनाव लड़ते हैं तो उनकी जीत के बाद राज्य की विधानसभा में गंभीरता देखने को मिलेगी। उनका चुनाव लड़ना राज्य और कांग्रेस दोनों के हित में होगा। उनको यदि टिकट मिलता है तो मैं कल से पिथौरागढ़ पहुंचकर उनका चुनाव प्रचार शुरू कर दूंगा’।_ किशोर उपाध्याय, पूर्व अध्यक्ष पीसीसी।
        लेकिन हरीश रावतहरीश रावत इसके लिए अपनी उम्र और स्वास्थ्य का हवाला देते हुए मयूख महर की पैरवी करते हुए नजर आ रहे हैं उन्होंने अपनी फेसबुक वाल पर लिखा है  “पिथौरागढ़ विधानसभा सीट के उपचुनाव में चुनाव लड़ने का हक और सर्वोत्तम उम्मीदवार, दोनों श्री मयूख महर हैं, वही वहां से कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। मुझे विश्वास है, वह मेरा अनुरोध नहीं टालेंगे। 2017 में उनकी हार विकास के ऊपर, बड़ा आघात थी और इस समय मुझे पूरा भरोसा है कि, पिथौरागढ़ का जनमानस मयूख महर के साथ खड़ा होगा। हरीश रावत, दूसरों के लिये स्थान बनाता है, मैं हक कल्मी नहीं करता हॅू। मैं शारीरिक रूप से ऐसी स्थिति में नहीं हूँ कि, बहुत चुनावी राजनीति में भाग ले सकूं, हाॅ यह अवश्य है कि, मयूख महर उम्मीदवार होंगे और हरीश रावत कम से कम 5 से 7 दिन पिथौरागढ़ में प्रवास करेगा।”—सं0