किशोर उपाध्याय ने उठाया लाॅकडाउन से प्रभावित तीर्थ पुरोहितों का मुद्दा

उत्तराखंड के पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने धार्मिक कर्मकांडों, कथा वाचकों, कथा व्यासों, तीर्थ पुरोहितों की लॉकडाउन से हुई गम्भीर आर्थिक हालात पर चिंता व्यक्त की है। कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने आज एक प्रेस रिलीज जारी कर एक ऐसा मर्मस्पर्शी मुद्दा उठाया जिस पर बोलने से अक्सर राजनीतिज्ञ कतराते हैं। किशोर उपाध्याय ने तीर्थ पूर्व तो पुरोहित कर्मकांड और पूजा पाठ करने वालों के साथ ही वृत्ति धारकों के मुद्दों पर खुलकर सवाल उठाए हैं उनका कहना है कि लॉक डाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित यही हुए हैं किशोर उपाध्याय ने कहा कि शास्त्र सम्मत रूप से भी अधिकांश पंडित पुरोहित सिर्फ इसी आजीविका पर निर्भर हैं ऐसे में धार्मिक कार्य बंद होने से उनकी आजीविका भी प्रभावित हुई है और उनके सामने रोजमर्रा की जरूरतों की चीजों का संकट आ गया है

उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने आज हरिद्वार, बनारस, देव प्रयाग, पुष्कर, उज्जैन, काँगड़ा, रामेश्वरम आदि तीर्थ स्थानों के पुरोहितों से बात-चीत की है ।कई लोग जिनका परिवार दिन प्रतिदिन के यजमानों की पूजा कार्य से चलता था, यदि जल्दी ही लॉकडाउन से निजात नहीं मिली तो इन पुरोहितों के परिवार भूखमरी के कगार पर हैं।
नवरात्र में भगवती पूजा और चण्डीपाठ से ये ब्राह्मणजन अपने परिवार का एक-आध महीने का खर्च निकाल लेते थे, लेकिन लॉकडाउन से वह भी सम्भव नहीं हो पाया।
इस समय श्रीमद् देवी भागवत का आयोजन भी नहीं हो पा रहा है।मंदिरों के कपाट बंद होने के कारण वहाँ के पुजारियों के सामने अपने परिवारों के आजीविका का संकट पैदा हो गया है।तीर्थ पुरोहितों का तो और भी बुरा हाल है।
कथाव्यासों/वाचकों की भी यही स्थिति है। इस पुनीत कार्य में विप्र वर्ग के अलावा, टेण्ट, म्यूज़िक, भण्डारी-रसोईया आदि लोग शामिल होते थे, उनकी भी स्थिति ख़राब हो गई है।
आपको याद होगा, गुजरात समाज के श्रद्धालु हरिद्वार कथा आयोजन में आये थे, जिन्हें लॉकडाउन में वापस भेजा गया था।
उपाध्याय ने कहा कि ढोल वादकों की आर्थिक स्थिति पर भी बड़ा बुरा असर पड़ा है।वैवाहिक आयोजनों के स्थगित होने से पुजारी वर्ग जितना प्रभावित हुआ उतना ही ढोल वादक वर्ग भी प्रभावित हुआ है।
चैत व वैशाख महीने ढोल वादकों के थोड़ा-बहुत कमाई के महीने थे, जो कि कोरोना के भेंट चढ़ गये हैं।
कथाव्यास लगभग 15 हजार करोड़ का आर्थिक योगदान देश की अर्थव्यवस्था में दे रहे थे, जोकि चौपट होता दिख रहा है।
देववाणी संस्कृत शिक्षा पर भी इसका बुरा असर पड़ेगा।
उपाध्याय ने केंद्र व राज्य सरकारों से इस वर्ग की आर्थिक सहायता का आग्रह किया है, जिससे इन्हें व इनके परिवारों को भुखमरी से बचाया जा सके।
इस बार चार धाम यात्रा कोरोना से प्रभावित होती है तो स्थिति और भी विकट हो जायेगी, जिसका असर पूरे प्रदेश की आर्थिकी और रोज़गार पर पड़ेगा।
सरकार को अभी सचेत होने की ज़रूरत हैै।