जाने किस रणनीतिक ढंग से हो रहा भारत का इस्लामीकरण

जडाॅ हरीश मैखुरी

आजादी के बाद बचे हुए भारत का जनसंख्या विस्फोट और धर्मान्तरण द्वारा तेजी से इस्लामीकरण किया जा रहा है,  इसके लिए अशिक्षित पिछड़े और दलितों को मुख्य रूप से निशाना बनाया जा रहा है। एक सर्वेक्षण के बाद आई रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक मुस्लिम आबादी इतनी होगी कि भारत इस्लामिक देश बन जायेगा। इस के लिए मीम भीम और वाम नेक्सिस भी इस कारनामे को गजवां ए हिन्द तक अंजाम देने के लिए उदत्त दिखता है। इस्लामिक फंड से चलने वाला ये कारनामा ऐसे ही नहीं पनप रहा बल्कि उनकी नीति नियंताओं और मीडिया में सुनियोजित दखल होने के कारण इस पर सोची समझी रणनीति के तहत काम चल रहा है।

इतिहास देखें तो पता चलता है कि भारत में मुगल आक्रांताओं के आक्रमण से पहले 5 लाख  गुरुकुल थे, इनमें नालंदा व तक्षशिला जैसे अनेक गुरुकुल थे जिनमें लाखों छात्र गुरुकुल में ही रहकर शिक्षा ग्रहण कर सकते थे, गुरुकुलों की शिक्षा व्यवस्था मंदिरों के चढावे से चलती थी,  मंदिरों का यह चढ़ावा पंडित लोग गुरुकुल और आश्रम को देते थे, या स्वयं  गुरुकुल चलाते थे ताकि देश में दया धर्म और ज्ञान बना रहे,  तब भारत में शतप्रतिशत साक्षरता थी। अधिसंख्य लोग आत्मज्ञानी, विद्वान एवं विवेकवान थे, जातिगत भेदभाव नहीं था। इसीलिए मुगल आक्रांताओं ने भारत में मंदिर तोड़े और उनकी जगह मस्जिदें खड़ी की और सबसे पहले पंडितों को अपना निशाना बनाया ताकि पंडित ही ना रहे तो भारतीय शिक्षा व्यवस्था चौपट हो जाए, वे इस नीति में कामयाब भी रहे कदाचित् वही व्यवस्था आज तक चल रही है।

भारत में जातिगत भेदभाव भी मुगल आक्रांताओं और उसके बाद आये अंग्रेजों की देन है। इसके पहले   हमारे यहां जातियां कभी इस रूप में नहीं थी, यहां तो पेशे थे, बाद में सुविधा के लिए पेशे के अनुसार वर्ण पुकारे जाने लगे । ये पेशे स्वैच्छिक थे जो चाहो पेशा अपना लो और उसके अनुसार वर्ण स्वत: प्राप्त हो जाता। हर पेशा महत्वपूर्ण था। सफाई करना,  शिक्षा देना और शासन चलाना समान पेशा था इसमें छोटे बड़े का भेद कतई नहीं था। लेकिन आज तो सरकारें ही जाति प्रमाण पत्र बांटने की एजेंसी बन चुकीं हैं,  नतीजतन जो लोग जातिगत आधार पर ब्राह्मणों के विरोध में खड़े दिखते हैं, वे ही लोग जातिगत आधार पर पिछड़े बनने की होड़ एवं आरक्षण की लाईन में सबसे पहले मिलते हैं। लेकिन आज भी ब्रह्मकर्म सबसे श्रेष्ठ माना जाता है, जो भी व्यक्ति  ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान करे शास्त्रों का अध्ययन करे  पठन-पाठन करे  ज्ञान ध्यान करें यम नियम संयम से रहे और शिखा सूत्र तिलक धारण करे तामसिक व अभक्ष्य नहीं  खाये, यही ब्राह्मणों के लक्षण हैं। युगों से प्रकृति के नियमों के अनुसार चल रही इस सनातन परम्परा पर  किसी को क्यों आपत्ति हो सकती है? लेकिन मीमभीम नेक्सस के  फंडिंग से ऐजेन्डा चलाने वालों के ब्रह्मद्रोह के पार्श्व में इस्लामीकरण ही है, ताकि जड़ ही समाप्त हो जाये।  इस समय भारत संक्रमण काल के दौर से गुजर रहा है, और अपनी उस  प्राचीन संस्कृति को तेजी से भूल रहा है  जिसमें सर्वे भवंतु सुखिनो सर्वे संतु निरामयाः की विशाल और सुन्दरतरम् अवधारणा है। 

हमारा भारतीय जीवन दर्शन और आध्यात्मिक उन्नति दुनियां में शीर्ष पर थी, जो प्रकृति व मानव जाति के संरक्षण व परिष्करण के लिए समर्पित है, यही ब्रह्मकर्म  ब्राह्मण करते रहे  हैं, जो कि इस्लामीकरण के मार्ग में मुख्य बाधा है। यही बात इस्लामिक एजेंसियां बखूबी जानती हैं,  इसी के लिए भीमवादियों को आगे करके उनकी आड़ में मीमासुर  भारत में अपना इस्लामिक एजेन्डा चला रहे हैं। लेकिन सोचने वाली बात है कि इस्लामिक देश एक तरफ सीरिया ईरान कोरिया जैसी युद्ध की विभीषिका पर खड़े देश हैं। तो दूसरी तरफ पाकिस्तान बांग्लादेश का आतंकवाद है जहां तेजी से हिंदू खत्म हो रहे हैं।  वहां ना आदिवासी बच रहे हैं ना मूलनिवासी बच रहे हैं सबको रोहियांग मुस्लिम जैसा बनाया जा रहा है। और इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा उनका इस्तेमाल जिहादी गतिविधियों के लिए किया जाता है ताकि मरेगा तो काफिर और जिंदा रहेगा तो जिहादी। ऐसे घोर आपराधिक कृत्यों पर सबको मिल कर चिंतन मनन की आज बहुत जरूरत है।

इस्लामिक समर्थक ब्राह्मणों का विरोध इसलिए करते हैं कि ब्राह्मण हिंदू धर्म के मूल हैं और धर्म रक्षा के लिए सदियों से कार्य कर रहे हैं। हमारे मुख्य धर्म ग्रंथ शुद्र कुल में पैदा हुए व्यास गौतम जैसे अनेक महान ऋषि मुनियों ने लिखे हैं, जो शतप्रतिशत वैज्ञानिक धर्म ग्रंथ हैं। वेद पुराण भाष्य रामायण महाभारत से श्रेष्ठ और वैज्ञानिक ग्रंथ पूरी दुनिया में नहीं हैं।  हमारा जो आधुनिक विज्ञान है वह  भौतिक वस्तुओं पर केंद्रित है, जहां पर हमारे आधुनिक विज्ञान की सीमा समाप्त होती है वहां से हमारा सनातन आध्यात्मिक धर्म दर्शन शुरू होता है, ब्राह्मण इसी भारतीय वैज्ञानिक ग्रंथों के अधीन समाज निर्माण के लिए कार्य करने वाले और पूरी दुनियां में शांति और वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा प्रतिस्थापित करने के लिए समर्पित है। इसीलिए मुस्लिम चरमपंथी आतंकवादियों और भौतिकवादियों के निशाने पर रहते हैं। ताकि ब्राह्मण नहीं रहेगा तो सनातन धर्म समाप्त हो जाए। शास्त्रों के अनुसार कल:ब्रह्म भूदेव: अर्थात कलयुग में पृथ्वी देवता कहे गये हैं। विरोध इस लिए कि जब देवता ही नहीं रहेगा तो धर्म स्वत: समाप्त हो जायेगा। यही है भारत के इस्लामीकरण की प्रमुख रणनीति। इस दौर में जब कई देशों के झंडे चांद पर पंहुच गये वहीं झंडे पर चांद लगाने वाले अनेक देश और संगठन चांद की शीतलता अपनाने की बजाय चरमपंथी क्रूरता से बाज नहीं आते। यही दुखद है।